
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की मऊ विधानसभा से पूर्व विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की गुरुवार को हार्ट अटैक मौत हो गई. मुख्तार की मौत से जुड़ी खबर आने के बाद से ही विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी. कई नेताओं ने मौत पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है, तो वहीं कुछ नेता ये बात भी याद दिला रहे हैं कि मुख्तार अंसारी ने प्रशासन पर आरोप लगाया था और कहा था कि उसको धीमा जहर दिया गया है.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उनकी उच्च-स्तरीय जांच जरूरी है, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें. ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक है. कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे.
'सरकार ने तवज्जोह नहीं दिया...'
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रशासन के रवैये को निंदनीय और अफसोसजनक बताते हुए कहा कि गाजीपुर की अवाम ने अपने चहीते बेटे और भाई को खो दिया. मुख्तार साहब ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया था कि उन्हें जहर दिया गया था. बावजूद इसके, सरकार ने उनके इलाज पर तवज्जोह नहीं दिया.
'क्या जांच के आदेश देगी यूपी सरकार?'
समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की जिन परिस्थितियों में मौत हुई, वह अत्यधिक चिंताजनक है. उन्होंने न्यायालय में अर्जी देकर पहले ही जहर के द्वारा अपनी हत्या की आशंका व्यक्त की थी. मौजूदा व्यवस्था में तो न जेल में कोई सुरक्षित, न पुलिस कस्टडी में और न अपने घर में. प्रशासनिक आतंक का माहौल पैदा करके लोगों को मुंह बंद रखने को विवश किया जा रहा है. क्या मुख्तार अंसारी द्वारा न्यायालय में दी गयी अर्जी के आधार पर कोई न्यायिक जांच के आदेश करेगी यूपी सरकार?
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यूपी से पूर्व विधायक श्री मुख्तार अंसारी के इंतकाल का दुःखद समाचार मिला. परवरदिगार से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिजनों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें. कुछ दिन पहले उन्होंने शिकायत की थी कि उन्हें जेल में जहर दिया गया है फिर भी गंभीरता से नहीं लिया गया. प्रथम दृष्टया ये न्यायोचित और मानवीय नहीं लगता. संवैधानिक संस्थाओं को ऐसे विचित्र मामलों व घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.
अखिलेश यादव के सवाल
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है. सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या कैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा:
- थाने में बंद रहने के दौरान
- जेल के अंदर आपसी झगड़े में
- जेल के अंदर बीमार होने पर
- न्यायालय ले जाते समय
- अस्पताल ले जाते समय
- अस्पताल में इलाज के दौरान
- झूठी मुठभेड़ दिखाकर
- झूठी आत्महत्या दिखाकर
- किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर
ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जांच होनी चाहिए. सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह गैरकानूनी हैं. जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। यूपी ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ये यूपी में ‘कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है.