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AK-47 से चली थीं 500 राउंड गोलियां, छलनी हो गया था कृष्णानंद राय का शरीर, मुख्तार पर लगे थे आरोप

बाहुबली मुख्तार अंसारी और उनके भाई सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के केस में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया है. दोनों पर  बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा का अपहरण कांड समेत कई मामलों को लेकर गैंगस्टर केस लगाया गया था.

मुख्तार अंसारी गैंगस्टर केस में दोषी करार (फाइल फोटो) मुख्तार अंसारी गैंगस्टर केस में दोषी करार (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 4:03 PM IST

यूपी में अब एक और माफिया डॉन के खिलाफ न्यायालय का चाबुक चल गया. गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर केस में मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा सुना दी है. उसके खिलाफ 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. वहीं उनके भाई सांसद अफजाल अंसारी को भी कोर्ट ने दोषी मानते हुए चार साल की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसी के साथ ही अब यह तय हो गया है कि अफजाल की सांसदी भी छिन जाएगी. 

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दोनों के खिलाफ गैंगस्टर के ये मामले करंडा थाना और मोहम्दाबाद थानों से बनाए गए आपराधिक मुकदमों से बनाए गए गैंगचार्ट पर आधारित हैं. इन मामलों में बहुचर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड और व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा का अपहरण कांड भी है. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या ने यूपी ही नहीं पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. जानते हैं उस दिन क्या हुआ था.

आज से 18 साल पहले 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय अपना काफिला लेकर भांवरकोल ब्लॉक के सियाड़ी गांव में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे. गांव ज्यादा दूर नहीं था तो उस दिन वह अपनी गुलेट प्रूफ गाड़ी नहीं ले गए थे. जब वह कार्यक्रम से लौट रहे थे तो बसनिया चट्टी के पास घात लगाए हमलावरों ने उनके काफिले पर हमला कर दिया था. हमलावर ने एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी. कई मिनट तक पूरा इलाका गोलियों की आवाज से गूंजता रहा था. कहते हैं कि उन्होंने करीब 500 राउंड फायरिंग की थी. हमलावरों ने कृष्णानंद राय के शरीर को गोलियों से भून दिया था. बताया जाता है कि उनके शरीर से 60 से भी ज्यादा गोलियां मिली थीं. इतना ही नहीं उन्होंने बीजेपी नेता की शिखा भी काट दी थी. इस हमले में उनके काफिले में शामिल 7 लोगों को नृशंस हत्या कर दी थी. इस हमले में मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी को आरोपी बनाया गया था. बताया गया कि इस हत्याकांड के पीछे चुनावी रंजिश वजह थी. दरअसल मोहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र मुख्तार और अफजाल अंसारी के प्रभाव वाली सीट थी लेकिन 2002 जब चुनाव हुआ तो कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हराकर उस सीट पर कब्जा कर लिया था. ऐसा कहा जाता है कि इसी के बाद दोनों भाइयों ने कृष्णानंद राय को जान से मारने का मन बना लिया था. हालांकि जब यह हत्याकांड हुआ उस समय मुख्तार अंसारी जेल में था. 

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कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में सीबीआई कोर्ट ने मुख्तार अंसारी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिसमें अफजाल अंसारी, संजीव माहेश्वरी, एजाजुल हक, रामू मल्लाह, मंसूर अंसारी, राकेश पांडे और मुन्ना बजरंगी शामिल थे. हालांकि मुन्ना बजरंगी की कुछ समय पहले जेल में ही हत्या कर दी गई थी. 

8 राज्यों में फैला है अंसारी का गैंग

मुख्तार अंसारी भी एक बहुत बड़ा अपराधी है. उसका यूपी के अलावा मुंबई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और एमपी में भी नेटवर्क फैला हुआ है. उनके खिलाफ देशभर में 61 मामले दर्ज हैं, जिनमें 24 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं. शायद यही वजह है कि एक केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि मुख्तार का गैंग देश का सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह है. उसने गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी की मदद से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अपनी पकड़ मजबूत की. 

1988 में दर्ज हुआ हत्या का पहला केस

मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1988 में गाजीपुर कोतवाली में हत्या का पहला केस दर्ज हुआ था. मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर लोकल ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार का नाम सामने आया था. इसी दौरान बनारस में त्रिभुवन सिंह के भाई कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसमें भी मुख्तार को आरोपी बनाया गया है. त्रिभुवन सिंह माफिया ब्रजेश सिंह का करीबी था.  मुख्तार और ब्रजेश सिंह की अदावत भी उसी दौरान शुरू हुई थी. 1990 में गाजीपुर के सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था लेकिन मुख्तार अंसारी के गिरोह ये ठेके छीनने शुरू कर दिए थे.

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18 साल से जेल में बंद है मुख्तार

मुख्तार अंसारी पिछले 18 साल से जेल में बंद है. हालांकि जेल से अंदर से भी उसके अपराध का सिलसिला जारी है. जेल के अंदर रहते हुए भी उसके खिलाफ गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और आजमगढ़ के थानों में अब तक हत्या के 8 मामले दर्ज हो चुके हैं. इसी साल उसके खिलाफ गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र में उसरी चट्टी हत्याकांड को लेकर 61वां केस दर्ज किया गया है. मुख्तार के खिलाफ हत्या के 18 केस दर्ज हैं जबकि हत्या के प्रयास के 10 मुकदमे दर्ज हैं. इसके अलावा उस पर टाडा, गैंगस्टर ऐक्ट, एनएसए, आर्म्स ऐक्ट और मकोका ऐक्ट के तहत खिलाफ केस दर्ज हैं.

मऊ दंगा, कृष्णानंद की हत्या ने ध्यान खींचा

2005 में यूपी में दो बड़ी वारदात हुई थीं, जिनमें मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था. पहला मामला मऊ दंगों से जुड़ा हुआ है. वहं भरत मिलाप के दौरान दंग भड़क गया था. दरअसल मुख्तार का एक कथित वीडियो सामने आया था, जिसमें वह जिप्सी में अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ दंगाग्रस्त इलाकों में घूमता दिखाई दिया था. मऊ दंगे के वक्त ही मुख्तार की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी. इस मामले में मुख्तार ने 25 अक्टूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद से वह जेल में बंद है.

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करीब एक महीने के बाद 29 नवंबर को कड़ों राउंड फायरिंग कर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में भी मुख्तार को मुख्य आरोपी बनाया गया था. सीबीआई ने मामले की जांच की लेकिन मुख्तार बरी हो गया था. कृष्णानंद राय ने मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को 2002 के विधानसभा चुनाव में हराया था. साथ ही कृष्णानंद राय उस वक्त मुख्तार के सबसे बड़े दुश्मन ब्रजेश सिंह की मदद भी कर रहे थे. 

इस हत्याकांड के लिए मुख्तार ने जेल में बैठकर शूटर मुन्ना बजरंगी की मदद ली थी, जिसकी साल 2018 में यूपी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी. इस हमले के गवाह शशिकांत राय की साल 2006 में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी. इस हत्याकांड में भी मुख्तार का नाम सामने आया था.

मुख्तार के नाम पर कई और घटनाएं भी दर्ज हैं. जैसे-1991 में पुलिस मुख्तार की धरपकड़ में लगी हुई थी. इस दौरान वह चंदौली में पुलिस की गिरफ्तार में आ गया था लेकिन वह दो पुलिस वालों को गोली मारकर उनकी पकड़ से फरार हो गया था. इसके बाद 1996 में एएसपी उदय शंकर पर हमला किया था. 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा का अपहरण कर लिया था.

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मुख्तार पर राजेंद्र सिंह हत्याकांड, वशिष्ठ तिवारी उर्फ माला गुरु हत्याकांड, अवधेश राय हत्याकांड,  गाजीपुर में एडिशनल एसपी एवं अन्य पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला मामले का भी केस दर्ज है.

पांच बार का विधायक रहा मुख्तार

मुख्तार अंसारी ने 1995 में पहली बार गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. यह चुनाव उसने जेल में रहते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव चिह्न पर लड़ा था. हालांकि वह यह चुनाव हार गया था. इसके बाद मुख्तार 1996 में बीएसपी में शामिल हो गया. वह गाजीपुर का बीएसपी का जिला अध्यक्ष बनाया गया फिर उसी साल मऊ सदर सीट से उसे चुनाव टिकट दे दिया गया. वह पहली बार चुनाव जीता. 2002 और 2007 में उसने निर्दलीय चुनाव जीता था. वह 2017 तक लगतार चुनाव जीता. मुख्तार ने अपने आखिरी तीन चुनाव जेल में रहते हुए जीते थे. 2022 में मुख्तार ने अपनी राजनीतिक विरासत बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी थी.

448 करोड़ की संपत्ति हो चुकी है जब्त

योगी सरकार माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अब तक 448 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है. इन संपत्तियों में मुख्तार की पत्नी अफशा अंसारी, बेटे अब्बास अंसारी व भाईयों की संपत्ति भी शामिल है. आयकर विभाग ने हाल में यूपी और अन्य स्थानों पर 127 करोड़ रुपये कीमत की लगभग दो दर्जन 'बेनामी' संपत्तियों का पता लगाया है. इन्हें भी एक-एक करके जब्त किया जा रहा है. इसके अलावा उसे करीब 83 शस्त्र लाइसेंस अब तक जब्त किए जा चुके हैं.

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