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मुस्लिम आबादी बढ़ी, हिंदुओं का पलायन हुआ, खंडहर बन गया शिव मंदिर... मुजफ्फरनगर में मिले 54 साल पुराने शिवालय की कहानी

संभल और वाराणसी के बाद अब मुजफ्फरनगर जिले में भी मुस्लिम आबादी के बीच एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में मिला है. बताया जा रहा है कि नगर कोतवाली क्षेत्र के खालापार मोहल्ले में 54 साल पहले इस शिव मंदिर की स्थापना की गई थी. उस समय ये क्षेत्र हिंदू बाहुल्य हुआ करता था.

मुजफ्फरनगर में मिला 54 साल पुराना शिव मंदिर मुजफ्फरनगर में मिला 54 साल पुराना शिव मंदिर
संदीप सैनी
  • मुजफ्फरनगर ,
  • 18 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:59 AM IST

यूपी के संभल और वाराणसी के बाद अब मुजफ्फरनगर जिले में भी मुस्लिम आबादी के बीच एक शिव मंदिर खंडहर अवस्था में मिला है. बताया जा रहा है कि नगर कोतवाली क्षेत्र के मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले में 54 साल पहले इस शिव मंदिर की स्थापना की गई थी. उस समय ये क्षेत्र हिंदू बाहुल्य हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद हिंदू समाज के लोग यहां से पलायन कर गए और यह मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया. 

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आपको बता दें कि इस समय ये शिव मंदिर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में होने के चलते यहां ना तो कोई हिंदू पूजा अर्चना करने के लिए आता है और ना ही इस मंदिर में इस समय किसी भगवान की मूर्ति स्थापित है. 1970 में इसका निर्माण हुआ था. 

बताया जाता है कि राम मंदिर विवाद के बाद हुए दंगों के समय यहां पर रहने वाले हिंदू समाज के लोग इस मोहल्ले को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर गए थे. पलायन करते समय ये लोग अपने साथ इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग और अन्य भगवानों की मूर्तियों को भी ले गए थे. जिसके बाद से इस मोहल्ले में लगातार मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती चली गई और यह मंदिर खंडहर हालत में तब्दील हो गया. 

हिंदू शख्स का दावा 

इस मंदिर के बारे में अधिक जानकारी देते हुए यहां से पलायन करने वाले परिवार के सदस्य सुधीर खटीक जो कि बीजेपी नेता भी हैं ने बताया कि सबसे पहले 1970 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी. वहां पूजा अर्चना लगातार होती रही. मगर जैसे ही अयोध्या के राम मंदिर का मुद्दा जोर शोर से उठा तो लोग मोहल्ले को छोड़ गए. क्योंकि, वहां मुस्लिम आबादी बहुत बढ़ गई थी. इधर-उधर नॉनवेज शॉप आदि खुल गई थीं. ऐसे में पूजा-पाठ मुश्किल था. इसलिए 1990-91 में हिंदू लोग मंदिर से मूर्तियां उठाकर अपने साथ लेकर चले गए और दूसरी जगह स्थापित कर दीं. 

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जब लंबे वक्त तक मंदिर में पूजा अर्चना नहीं हुई तो आसपास के लोगों ने अतिक्रमण कर लिया. किसी ने अपने घर के छज्जे निकाल लिए तो किसी ने पार्किंग बना ली. मंदिर खंडहर बन गया और सिकुड़ गया.

सुधीर खटीकने कहा कि सरकार से आग्रह है कि इस मंदिर की पुनर्स्थापना कराई जाए. उसे पुराना रूप दिया जाए ताकि पूजा-पाठ शुरू हो सके. क्योंकि, हिंदू अगर अपनी संस्कृति को भूल गए, अपने धर्म को भूल गए तो राष्ट्र सुरक्षित नहीं हो सकता. राष्ट्र भी जब ही सुरक्षित रहता है जब आपका धर्म सुरक्षित हो. 

मुस्लिम शख्स का बयान 

वहीं, मुजफ्फरनगर के मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले के निवासी मोहम्मद समीर आलम ने कहा कि यह स्थल 1970 में बना था. बुजुर्गों ने बताया था कि यहां पाल जाति के लोग अधिक थे. उन्होंने ही इसका निर्माण कराया होगा. हालांकि, बाद में वो अपनी प्रॉपर्टी सेल आउट करके दूसरी जगह शिफ्ट हो गए. जाते वक्त मंदिर से शिवलिंग और मूर्तियां भी ले गए. फिलहाल, काफी समय से मंदिर बंद पड़ा है, कोई देखने नहीं आता. जो भी रंग-रोगन का काम हुआ मुस्लिम समुदाय ने किया. 

अगर कोई पूजा-पाठ के लिए आने चाहे तो आए, हम नहीं रोकते. हमारे द्वारा किसी को क्यों रोका जाएगा, यह तो सार्वजनिक है, कोई भी आ सकता है, मंदिर हो या मस्जिद. हालांकि, 1994 से देख रहा हूं कोई पूजा करने नहीं आया आज तक.  

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