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'नजूल संपत्ति विधेयक गलत नहीं, मैंने सिर्फ सुझाव दिए...' बोले बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह

BJP विधायक और पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर आजतक से बातचीत की. उन्होंने कहा कि मेरी तरह अन्य विधायकों ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और अपनी बात रखी. उसके बाद सीएम ने दोनों डिप्टी सीएम को बुलाया गया. प्रदेश अध्यक्ष को बुलाया और विधानसभा में एक मीटिंग की.

बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह. बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह.
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 02 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

यूपी में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर सियासत गरम है. विधानसभा में ये विधेयक पारित हो गया, लेकिन विधान परिषद में इस पर ब्रेक लग गया है. अब इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया है. इस विधेयक में संशोधन लाए जाने की मांग करने वालों में बीजेपी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह का नाम भी शामिल है. सिद्धार्थ नाथ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की है. शुक्रवार को उन्होंने आजतक से बातचीत की और कहा, नजूल को लेकर पार्टी या सरकार में कोई कंफ्यूजन नहीं है. ना ही कोई विवाद है, बल्कि डेमोक्रेटिक तरीके से सरकार में विधायकों की बातें सुनी और इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने का फैसला लिया है.

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सिद्धार्थ नाथ सिंह का कहना था कि मेरी तरह अन्य विधायकों ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और अपनी बात रखी थी. उसके बाद सीएम ने दोनों डिप्टी सीएम को बुलाया. प्रदेश अध्यक्ष को बुलाया और विधानसभा में एक मीटिंग की. इस मीटिंग में फैसला लिया कि इस बिल को विधान परिषद में सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाएगा. 

पार्टी और सरकार ने मिलकर फैसला लिया

सिद्धार्थ नाथ का कहना था कि बैठक में ही तय किया गया था कि विधान परिषद में नेता और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य इस बिल को पटल पर रखेंगे. उसके बाद चर्चा होगी, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष जी इसे प्रवर समिति में भेजने की सिफारिश करेंगे. इस प्रस्ताव पर सभी अपनी सहमति देंगे और सिलेक्ट कमेटी को भेज दिया जाएगा. यह एक प्रोसेस होती है. फैसला पार्टी और सरकार ने मिलकर लिया है. ये बड़ी बात है, जिसे समझने की जरूरत है.

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बहुत सारे लोगों ने नजूल संपत्तियां हड़प रखीं

सिद्धार्थ नाथ सिंह के मुताबिक, विधानसभा में कई विधायकों ने कुछ सुझाव दिए थे. तब यह माना गया कि फिलहाल इसे प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए. सरकार और संगठन में कहीं कोई विवाद नहीं है. यह सब मीडिया का क्रिएट किया हुआ है. एक डेमोक्रेटिक तरीके से अगर किसी विधेयक को रोकना है और उस पर चर्चा करनी होती है. यही तरीका हो सकता था. नजूल संपत्ति विधेयक गलत नहीं है. बहुत सारे लोगों ने नजूल संपत्तियों हड़प रखी है. कुछ लोग जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनकी पीढ़ी नहीं है. ऐसी प्रॉपर्टी को समाजवादी पार्टी के माफियाओं ने कब्जा कर रखा है. सरकार ऐसी संपत्तियों को वापस ले रही है. कुछ ना कुछ रास्ता निकलेगा और दोबारा सही तरीके से यह बिल लाया जाएगा.

मैंने दो सुझाव दिए थे...

सिद्धार्थ नाथ सिंह का कहना था कि मैंने किसी संशोधन की मांग नहीं की, बल्कि सरकार को सुझाव दिया है. मुझे खुशी है कि संसदीय कार्य मंत्री खन्ना जी (सुरेश) ने मेरे दोनों सुझाव को उसी समय फ्लोर पर ही स्वीकार किया और आश्वासन दिया. इसमें एक सुझाव लीज एक्सटेंड करने का भी था. सदन के अंदर भी चर्चा होगी और सरकार संवेदनशील होकर समाधान या अच्छा बिल प्रस्तुत करेगी. क्योंकि सदन में 403 लोग बैठते हैं. सभी अलग-अलग जगहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. जो बिल है, वो लीज से जुड़ा है. इसमें कुछ प्रावधान ऐसे थे. हमने सरकार और वरिष्ठों से बात की. उसके बाद उन्होंने कहा कि जरूर अपनी बात रखिए. बाद में अन्य विधायक गए. उनका अलग मसला रहा होगा. वे सीएम से मिले. उसके बाद सीएम ने मीटिंग रखी.

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क्या है पूरा मामला

दरअसल, विधानसभा के सत्र के आखिरी दिन एक अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली. एक दिन पहले जिस नजूल संपत्ति विधेयक को योगी सरकार ने विधानसभा में ध्वनिमत से पास किया. दूसरे दिन ही सरकार विधान परिषद में उस बिल से पीछे हट गई और ठंडे बस्ते में डाल दिया है. यानी इसे पास करने की जगह प्रवर समिति को भेज दिया है. चूंकि इस विधेयक के विरोध में कई विधायक लामबंद होने लगे थे. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने खिलाफत की कमान संभाली. बीजेपी विधायक हर्ष वाजपेई सहित कई विधायकों ने इसका विरोध किया. प्रयागराज से विधायक और पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कुछ संशोधनों की मांग की. सिद्धार्थ नाथ ने कहा, नजूल की जमीन के लीज को बढ़ाने का प्रावधान होना चाहिए, जिसे सरकार ने मान लिया. लेकिन 99 साल की जगह 30 साल का संशोधन तय किया गया. 

क्या होती है नजूल भूमि?

ब्रिटिश राज में आंदोलन करने वालों की जमीनों को जब्त कर लिया गया था. अंग्रेजी हुकूमत इन जमीनों को अपने कब्जे में ले लिया करती थी. आजादी के बाद जब्त की गई वही भूमि नजूल कही जाने लगी. आजादी के बाद नजूल जमीन पर सरकार का कब्जा हो गया. राज्य सरकारें नजूल जमीन को लीज पर देने लगीं. लीज की मियाद 15 से 99 साल के बीच हो सकती है. पूरे देश में नजूल भूमि है.
 

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