
उत्तर प्रदेश सरकार ने आयुष्मान भारत योजना और पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना से जुड़े निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए नई रणनीति अपनाई है. सरकार ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि यदि कोई निजी अस्पताल योजना के तहत इलाज करने से मना करता है या मरीज से रुपये मांगता है तो उसकी संबद्धता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी.
निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए सरकार ने गोपनीय तरीके से जांच अभियान शुरू किया है. प्रदेशभर में सभी निजी अस्पतालों को नोटिस जारी करते हुए चेतावनी दी गई है कि वे योजना के नियमों का कड़ाई से पालन करें. सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को भी निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं.
पंजीकरण के मामले में यूपी पहले नंबर पर
उत्तर प्रदेश आयुष्मान भारत योजना में पंजीकृत अस्पतालों की संख्या के मामले में देश में पहले स्थान पर है. राज्य में 2,949 सरकारी और 2,885 निजी अस्पताल इस योजना से पंजीकृत हैं. योजना के तहत हर लाभार्थी को निजी अस्पतालों में हर साल 5 लाख रुपये तक की कैशलेस चिकित्सा सुविधा मिलती है.
पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के तहत राज्य के सरकारी और सेवानिवृत्त कर्मचारियों, उनके आश्रितों को बिना किसी वित्तीय सीमा के सरकारी अस्पतालों में कैशलेस उपचार की सुविधा दी जाती है. निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के तहत यह सीमा 5 लाख रुपये प्रति वर्ष निर्धारित है.
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सरकार ने इसको लेकर कड़े कदम उठाए हैं कि योजना के लाभार्थियों को कोई परेशानी न हो. निजी अस्पतालों से कहा गया है कि वे किसी भी लाभार्थी का इलाज करने से इनकार नहीं कर सकते. इस कदम का उद्देश्य सरकारी और निजी अस्पतालों के बीच चिकित्सा सेवाओं की समानता बनाए रखना और गरीबों व जरूरतमंदों को समय पर और प्रभावी इलाज उपलब्ध कराना है.
योजना के तहत अस्पतालों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है. सरकार ने निजी अस्पतालों को यह चेतावनी भी दी है कि किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए सभी जिलों में एक निगरानी तंत्र बनाया गया है.