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बेंगलुरु में जॉब करने वाले आईटी इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड मामले में पुलिस की जांच-पड़ताल जारी है. इस बीच जौनपुर पहुंची बेंगलुरु पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया की तरफ से दर्ज कराए गए सभी केस की स्टेटस रिपोर्ट ली.
बता दें कि सीजेएम कोर्ट में बेंगलुरु पुलिस की टीम उन सभी केसेज की स्टेटस रिपोर्ट ले रही है, जो निकिता ने पति अतुल सुभाष और उनके परिवार पर दहेज प्रथा अधिनियम, भरण पोषण अधिनियम या अन्य धाराओं में दर्ज करवाए थे. इन केसों की सुनवाई में पेशी के लिए अतुल को बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ता था.
फिलहाल, अतुल सुभाष पर जौनपुर और इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित केस की स्टेटस रिपोर्ट सामने आई है. अतुल पर जौनपुर जिला सत्र न्यायालय में सिर्फ 3 केस चल रहे हैं.
पहला केस-
एसीजीएम जौनपुर की कोर्ट में निकिता सिंघानिया की तरफ से अतुल सुभाष और उनके परिवार पर जौनपुर कोतवाली में दर्ज कराए गए केस 115/2022 जिसमें दहेज के लिए प्रताड़ित करने, मारपीट और दहेज प्रथा अधिनियम के केस की सुनवाई चल रही है.
दूसरा केस-
जौनपुर के अपर सिविल जज फर्स्ट की अदालत में निरस्त हो चुके घरेलू हिंसा अधिनियम के वाद को दोबारा दर्ज कराया गया और जिसकी सुनवाई 24 जनवरी 2025 को होनी है.
तीसरा केस-
सीजेएम जौनपुर की कोर्ट में निकिता की तरफ से अतुल सुभाष पर भरण पोषण अधिनियम के तहत दर्ज करवाया गया, जिसमें बीती 29 जुलाई 2024 को कोर्ट ने बेटे व्योम के भरण पोषण के लिए 40,000 के गुजारा भत्ता निर्धारित कर दिया था. इसी गुजारा भत्ता की वसूली के लिए बेटे व्योम की तरफ से रिकवरी के लिए दाखिल किया गया है जिस पर 16 दिसंबर को सुनवाई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी डाली थी याचिका
इन तीन केस के अलावा अतुल सुभाष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दहेज प्रथा अधिनियम के दर्ज केस के जूरिडिक्शन को चैलेंज करते हुए याचिका डाली है, जिसमें अतुल ने याचिका में कहा है कि निकिता के साथ मारपीट या दहेज की मांग की घटना बेंगलुरु में हुई है लिहाजा जौनपुर में इस केस का जूरिडिक्शन नहीं बनता है.
वहीं, हाई कोर्ट में भरण पोषण के लिए निकिता सिंघानिया ने एक याचिका डाली है. लोअर कोर्ट ने सिर्फ बेटे के भरण पोषण को निर्धारित किया था लेकिन निकिता ने यह कहते हुए अपने भरण पोषण के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाली है कि उसके पास आय का कोई साधन नहीं है जबकि अतुल सुभाष ने दावा किया था कि निकिता दिल्ली में एक कंपनी में जॉब करती है.
इसके साथ ही निकिता की तरफ से इलाहाबाद हाई कोर्ट में उसके केस की जल्द से जल्द सुनवाई कर निस्तारण के लिए भी याचिका डाली गई थी जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 6 महीने में केस के निस्तारण का आदेश दिया था.
इस तरह जौनपुर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अतुल सुभाष पर 3 केस न्यायालय में विचाराधीन है. जबकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक केस निकिता की तरफ से चल रहा है. वहीं, अतुल सुभाष की तरफ से भी एक केस न्यायालय क्षेत्र के अधिकार को चैलेंज करते हुए लंबित है.
अतुल छोड़ गए 24 पन्नों का सुसाइड नोट
बताते चलें कि बिहार के समस्तीपुर निवासी अतुल सुभाष ने बेंगलुरु में खुदकुशी से पहले 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा. इसके अलावा 81 मिनट का वीडियो भी बनाया था जो वाकई उनकी त्रस्त मानसिक स्थिति को दिखाता है. इनमें उन्होंने अपनी पूरी व्यथा कथा कह डाली है.
उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा, 'मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा. और मैं ही नहीं रहूंगा तो ना तो पैसा होगा और न ही मेरे माता-पिता, भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी.'