
उत्तर प्रदेश के बलिया में निषाद पार्टी (Nishad Party) के कार्यकर्ताओं ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने अपने नेता संजय निषाद (Sanjay Nishad) से मांग की है कि उन्हें ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) की पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरह अधिकार मिलने चाहिए. इसको लेकर जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में बांसडीह विधानसभा में विरोध सम्मेलन आयोजित किया गया.
इस सम्मेलन में एनडीए में शामिल निषाद पार्टी (Nishad Party) के जिलाध्यक्ष ने बीजेपी नेताओं पर उपेक्षा का आरोप लगाया. चंद्रमा निषाद (Chandrama Nishad) ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मांग करते हुए कहा कि जिस तरह ओमप्रकाश राजभर (OP Rajbhar) ने अपने कार्यकर्ताओ को पावर दिया है कि पीला गमछा लगाकर थाने में जाकर काम कराओ, ठीक उसी तरह संजय निषाद भी हमें पावर दें कि निषाद पार्टी (Nishad Party) के कार्यकर्ता पार्टी की टोपी पहनकर थाने में बैठकर अपना काम करवा सकें.
पीले गमछे पर ओपी राजभर ने क्या कहा था?
कैबिनेट मंत्री की शपथ लेने के बाद ओपी राजभर (OP Rajbhar) ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि जब थाने में पीला गमछा लगाकर जाओगे तो दारोगा जी ओमप्रकाश राजभर नजर आएगा. उन्होंने कहा, "थाने पर जाओ तो सफेद गमछा मत लगाओ. पीला गमछा लगा लो. बाजार में 20-25 रुपये का मिलेगा. इस गमछे को लगाकर जाओ थाने पर. जब थाने पर जाओगे तो तेरी शक्ल में ओम प्रकाश राजभर दारोगा जी को नजर आएगा. ये है पावर और जाकर बता देना कि मंत्रीजी भेजे हैं और दारोगा जी में पावर तो है नहीं कि मंत्रीजी से फोन करें कि भेजे हैं कि नहीं. बोलिए है पावर. एसपी को भी पावर नहीं है. डीएम को भी पावर नहीं है. आज जिस मुकाम पर हम खड़े हैं डीजी को भी पावर नहीं है कि वो हमसे पूछे आपने भेजा है कि नहीं भेजा है."
फर्रूखाबाद में सामने आया था विवाद
राजभर ने मंत्री बनने के बाद अपने कार्यकर्ताओं से कह दिया तो फर्रूखाबाद में उनकी पार्टी का कार्यकर्ता गले में गमछा डालकर थाने पहुंच गया. पुलिस ने उसका गमछा छीन लिया और मोबाइल थाने में रखवा लिया. इसको लेकर सुभासपा के कार्यकर्ताओं ने पुलिस थाने का घेराव किया, जिसमें जिलाध्यक्ष भी शामिल हुए. हालांकि जब राजभर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने अपनी पार्टी के नेता को पहचानने से इनकार कर दिया. इसके बाद संदेश कश्यप ने सुभासपा से इस्तीफा दे दिया.