
बहुचर्चित निठारी कांड में आरोपी रहे D-5 कोठी के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को आखिरकार हाईकोर्ट के फैसले के बाद रिहा कर दिया गया है. निठारी कांड में मनिंदर के साथ उसके नौकर को पुलिस और सीबीआई द्वारा आरोपी बनाया गया था. अब परवाना आने पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद मनिंदर को गौतम बुद्ध जिला कारागार से रिहा कर दिया गया है.
शुक्रवार तड़के ही साफ हो गया था कि मनिंदर सिंह पंढेर को शुक्रवार को रिहा कर दिया जाएगा. हालांकि, रिहाई की प्रक्रिया में समय लगने के कारण पंढेर को तय समय से काफी देर बाद रिहा किया गया. जेल से बाहर आने के दौरान उसे कुर्ता-पजामा में देखा गया. उसके साथ उसका एक परिजन था, जिसने उसका थैला हाथ में ले रखा था. साथ में तीन वकील मौजूद थे.
'गाड़ी में बैठकर पंढेर ने हाथ जोड़ लिए'
हालांकि, पंढेर ने मीडिया के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया. सवाल पूछने पर उसने गाड़ी में बैठकर हाथ जोड़ लिए. इसके बाद वकीलों के साथ गाड़ी में बैठकर रवाना हो गया. बताया जा रहा है कि वो दादरी से एक्सप्रेसवे होते हुए चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गया है.
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पंढेर को दो मुकदमों में फांसी की सजा सुनाई गई थी
बता दें कि दिसंबर 2006 में इस मामले का खुलासा हुआ था. तब D-5 कोठी देश का सबसे चर्चित मकान बन गया था. एक के बाद एक डेढ़ दर्जन बच्चों और युवतियों के अवशेष और खून से लथपथ कपड़े व अन्य सामान बरामद हुआ था. इस मामले में सुरेंद्र कोली को 13 और पंढेर को दो मुकदमों में फांसी की सजा सुनाई गई थी.
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13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत
निठारी कांड में कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे. इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी. 16 मुकदमों में CBI कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ गया था. 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत और तीन में बरी किया गया था.
सोमवार को हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला
पंढेर को दो मुकदमों में फांसी, एक मुकदमे में सात साल की सजा सुनाई गई थी. साथ ही चार मुकदमों में बरी किया गया था. इसके बाद फांसी की सजा के खिलाफ दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की. इसका फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति एस. एच. ए. रिजवी की खंडपीठ ने सितंबर महीने में सुनवाई करते हुए सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को फैसला सुनाया गया, जिसके बाद मोनिंदर को आखिरकार रिहा कर दिया गया है.