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नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर एसोसिएशन के साथ की अहम बैठक, कई जरूरी मुद्दों पर हुई चर्चा

नोएडा प्राधिकरण के सीइओ ने बिल्डर एसोसिएशन (क्रेडाई) के प्रतिनिधिमंडल के साथ अहम बैठक की. बैठक में बिल्डर कंपनियों की समस्या, फ्लैट बायर्स की समस्या और बिल्डर कंपनियों के बकाया भुगतान राशि को लेकर चर्चा हुई.

चर्चा के दौरान अधिकारी चर्चा के दौरान अधिकारी
भूपेन्द्र चौधरी
  • नोएडा,
  • 24 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:33 PM IST

नोएडा प्राधिकरण के सीइओ ने बिल्डर एसोसिएशन (क्रेडाई) के प्रतिनिधिमंडल के साथ अहम बैठक की. बैठक में बिल्डर कंपनियों की समस्या, फ्लैट बायर्स की समस्या और बिल्डर कंपनियों के बकाया भुगतान राशि को लेकर चर्चा हुई. बैठक के दौरान कहा गया कि लिगेसी स्टॉल्ड प्रोजेक्ट के संबंध में निर्गत शासनादेश क्रम में सभी संबंधित बिल्डर अपनी सहमति देते हुए 25 प्रतिशत धनराशि प्राधिकरण में जमा करायें, जिससे फ्लैट बायर के पक्ष में फ्लैट रजिस्ट्री कराई जा सके.

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बिल्डर कंपनियों की समस्याओं के त्वरित निस्तारण हेतु प्राधिकरण क्रेडाई ग्रिवांस रेडरेसाल रजिस्टर बनाएगा. साथ ही समय समय पर प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बिल्डर कंपनियों के बैठक भी आयोजित कराई जाएगी. सेक्टर 6 स्थित प्राधिकरण के दफ़्तर में हुए बैठक में सीइओ नोएडा प्राधिकरण समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. बिल्डर एसोसिएशन क्रेडाई की तरफ अलग अलग बिल्डर कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किया था प्रदर्शन
गौरतलब है कि जनवरी महीने में नोएडा में किसानों ने नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. किसानों ने प्राधिकरण पर तालाबंदी का आह्वान किया जिसके बाद सैकड़ो की संख्या में किसान प्राधिकरण कर दफ्तर पर पहुंचे थे. दरअसल, किसान लंबे समय से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. नोएडा के 81 गांव लगातार प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों की मुख्य मांग है कि जो 81 गांव के किसान नोएडा प्राधिकरण से प्रभावित हैं जिनकी जमीन प्राधिकरण वर्षो पहले अधिग्रहण कर लिया उनको सामान मुआवजा दिया जाए. इसके साथ ही सभी को 10% प्लॉट दिए जाए.

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दरअसल, किसानों के कई मांगों को नोएडा प्राधिकरण पहले ही अपने बोर्ड बैठक में पास कर चुकी है, लेकिन शासन द्वारा उन मांगों को प्रेषित नहीं किया गया, किसानों का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले उनकी मांगों को शासन द्वारा मान लिया जाए.

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