
ग्रेटर नोएडा के यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में प्लॉट पाने के लिए पति-पत्नी तलाक का सहारा लेकर नियमों को तोड़ रहे हैं. 2015 से अब तक 47 मामलों में तलाक के दस्तावेज पेश कर प्लॉट बचाए गए हैं. फिलहाल प्राधिकरण इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहा है. यमुना अथॉरिटी में एक के बाद एक कई ऐसे मामले आने लगे तो जांच कराई गई. जिसमें 2015 से लेकर अब तक इंडस्ट्रियल कैटिगरी में 47 ऐसे मामले आए, जिनमें पति और पत्नी ने तलाक से संबंधित दस्तावेज पेशकर अपने प्लॉट बचा लिए. जबकि नियम यह है कि आवासीय, इंडस्ट्रियल और अन्य प्लॉट स्कीम में यदि ड्रॉ में पति और पत्नी दोनों का नाम निकलता है तो एक का प्लॉट स्वत: निरस्त हो जाएगा. मतलब दोनों में एक को ही प्लॉट का आवंटन किया जाएगा.
यमुना प्राधिकरण के सीईओ अरुण सिंह ने बताया कि प्लॉट आवंटन में 47 ऐसे मामले सामने आए जहां पर पति-पत्नी ने प्लाट आवंटन करा लिए. इस दौरान उनके द्वारा कहीं पर पत्नी के नाम से फर्म बनाई गई, कहीं पति के नाम से फर्म बनाई गई, कहीं कम्पनी दिखाकर उसमें पत्नी को डायरेक्टर बना दिया, तो कहीं पति को डायरेक्ट बनाया गया. कुल मिलाकर इस तरह के 47 मामले सामने आए.
इस मामले में जब उन लोगों को प्राधिकरण की तरफ से नोटिस दिए गए तो पता चला कि उनमें से काफी लोगों ने अपने तलाक के दस्तावेज पेश कर दिए और बताया कि हमारी प्लॉट अलग-अलग है. इस पूरे प्रकरण को देखते हुए बोर्ड के द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया है, अगर यह तलाक के मामले सही हों तो उनके प्लॉट बच जाएंगे. अगर धोखाधड़ी करते हुए प्लॉट लिए गए हैं तो ऐसे मामलों में उनके प्लॉट को निरस्त कर दिया जाएगा. अब तक इस मामले में 9 पति-पत्नी तलाक के दस्तावेज पेश कर चुके हैं.
यह पूरा मामला इंडस्ट्रियल स्कीम का है. प्राधिकरण के सीईओ का कहना है कि अब इस मामले में आवासीय स्कीम में भी जांच कराई जाएगी. अगर वहां पर भी कोई धोखाधड़ी पाई जाती है तो ऐसे लोगों के प्लॉट निरस्त किए जाएंगे.