
आस्था के नाम पर अंधविश्वास तो आपने काफी देखा और सुना होगा, लेकिन परंपरा के नाम पर फूहड़पन और अश्लीलता शायद ही देखी हो. काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर यह नजारा चैत्र नवरात्रि की सप्तमी की रात दिखा है. महाश्मशान नाथ बाबा के वार्षिक तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन गम वाले माहौल के बीच महाश्मशान में मंच पर नगरवधुओं ने फूहड़ और भद्दा डांस किया.
एक तरफ लोग अपनों के गम में डूबे थे. वहीं, दूसरी तरफ मंच पर ठुमके लग रहे थे और पैसे लुटाए जा रहे थे. महाश्मशान की शांति को चीरने वाले कानफाड़ू लाउडस्पीकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रहे थे.
शवयात्री BHU के समाजशास्त्र के प्रो. डीके सिंह ने ऐसे कार्यक्रम को कहीं से भी उचित नहीं बताया. उन्होंने कहा कि परंपरा के नाम पर पिछले कुछ साल से अश्लीलता परोसी जा रही है, जिस पर रोक लगाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि अपनों को खोने के बाद महाश्मशान पर आने वालों के लिए ऐसी अश्लीलता बर्दाश्त के बाहर है. वहीं कुशीनगर से विश्वनाथ मंदिर घुमने आने वाले कुछ युवा तीर्थयात्रियों को भी महाश्मशान पर अश्लीलता का परोसा जाना नागवार गुजरा, जिसमें महिला से लेकर पुरुष भी शामिल थे.
आयोजन को लेकर क्या बोले मंदिर के व्यवस्थापक?
इस बारे में महाश्मशान मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने कहा कि अभी तक ऐसी किसी ने शिकायत नहीं की है, अगर कोई आपत्ति दर्ज कराता है तो सुनवाई होगी.
उन्होंने जिला प्रशासन की अनुमति का भी हवाला दिया और रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बजाने के पीछे दलील दी कि सैकड़ों साल पुरानी परंपरा है और रात में ही नगरवधुओं के नृत्यांजलि का कार्यक्रम होता है.
उन्होंने कहा कि नदी का किनारा और रिहायशी इलाका न होने के चलते यह रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा सकता है. जब उनसे सुप्रीम कोर्ट के नियम का हवाला दिया गया तो उन्होंने बताया कि इस पर आगे विचार किया जाएगा.