
लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के एक से दूसरे दल में जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मंत्री पद से इस्तीफा देकर विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामने वाले मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से विधायक दारा सिंह चौहान ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. दारा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में वापस लौट आए हैं. वहीं, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) भी एनडीए में वापस लौट आई है. दोनों के साथ आने से 2024 चुनाव के लिए बीजेपी के मिशन पूर्वांचल को कितनी धार मिलेगी?
ओमप्रकाश राजभर की वापसी के जरिए बीजेपी की रणनीति पूर्वांचल के किले को दुरूस्त करने की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी हो या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर, ये दोनों ही पूर्वांचल में ही आते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्वांचल की 26 में से छह सीटों पर हार मिली थी. बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की अंबेडकरनगर, आजमगढ़, घोसी, गाजीपुर, लालगंज और जौनपुर सीट पर हार मिली थी.
बीजेपी ने 2024 में यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी थीं. बीजेपी ने 2017 चुनाव से अधिक सीटें जीती थीं लेकिन गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़ जैसे जिलों में पार्टी का प्रदर्शन काफी खराब रहा था. ऐसे में बीजेपी का पूरा फोकस 2024 के चुनाव से पहले पूर्वांचल में संगठन की खामियों को दूर करने के साथ ही जातीय समीकरण साधने पर है.
बीजेपी के मिशन पूर्वांचल में राजभर फिट
पूर्वांचल के जातीय समीकरण साधने की बीजेपी की रणनीति में ओमप्रकाश राजभर फिट बैठ रहे थे. उत्तर प्रदेश में करीब चार फीसदी राजभर आबादी है. पूर्वांचल के 25 में से 18 जिलों में राजभर मतदाता अच्छी तादाद में हैं. पूर्वांचल की गाजीपुर, बलिया, सलेमपुर, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ समेत करीब दर्जनभर सीटों पर राजभर मतदाता जीत और हार तय करने की स्थिति में हैं.
ओमप्रकाश राजभर की राजभर वोट पर मजबूत पकड़ है. बीजेपी ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के एनडीए से अलग होने के बाद अनिल राजभर को राजभर चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. अनिल राजभर एक्टिव भी नजर आए. राजभर समाज के लोगों से घर-घर जाकर मुलाकात भी की लेकिन राजभर वोट में सेंध लगाने में नाकामी हाथ लगी.
2022 चुनाव में बीजेपी को हुआ था बड़ा नुकसान
यूपी चुनाव 2022 में बीजेपी गाजीपुर जिले में खाता तक नहीं खोल सकी तो वहीं बलिया में एक सीट पर सिमट गई. ओमप्रकाश राजभर की पार्टी विधानसभा चुनाव में 18 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. छह सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते थे. पूर्वांचल में कई सीटों पर बीजेपी की हार के पीछे राजभर वोट प्रमुख कारण बनकर सामने आए थे.
बलिया, गाजीपुर और आजमगढ़ में अच्छी तादाद में राजभर मतदाताओं वाले बीजेपी के किले जब दरके, तभी साफ हो गया था कि राजभर वोट पर ओमप्रकाश की पकड़ ढीली नहीं पड़ी है. अनिल राजभर के चेहरे को आगे कर सुभासपा के वोट में सेंध लगाने की रणनीति फेल हो गई. ओमप्रकाश ने सपा गठबंधन से बाहर आने का ऐलान कर दिया था. ओमप्रकाश राजभर जहां होते हैं, राजभर वोट वहां ट्रांसफर होते हैं. इसके बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि वे फिर से बीजेपी के साथ जाएंगे.
दारा सिंह चौहान की वापसी से क्या हासिल होगा
राजनीति में कुछ भी बेवजह नहीं होता. ओमप्रकाश राजभर की एनडीए में वापसी की स्क्रिप्ट जहां राजभर वोट पर मजबूत पकड़ ने लिखी तो वहीं दारा सिंह चौहान की वापसी नोनिया वोट के प्रभाव ने. पूर्वांचल की बलिया, सलेमपुर, घोसी, गाजीपुर जैसी सीटों पर नोनिया समाज के वोटर ऐसी स्थिति में हैं कि जिस खेमे में चले जाएं, जीत की संभावनाएं बढ़ जाएं. दारा सिंह चौहान ने 2022 के यूपी चुनाव से पहले योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर सपा का दामन थाम लिया था. दारा सपा के टिकट पर घोसी सीट से विधानसभा पहुंचे थे.
बीजेपी के पास नहीं था कोई बड़ा नोनिया चेहरा
बीजेपी के कद्दावर चौहान चेहरे फागू चौहान अब मुख्यधारा की राजनीति से दूरी बना चुके हैं. फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था जहां से उन्हें मणिपुर भेज दिया गया था. फागू चौहान मेघालय के राज्यपाल हैं. फागू चौहान के मुख्यधारा की राजनीति से दूर हो जाने के बाद दारा सिंह भी जब सपा में चले गए, बीजेपी के पास नोनिया जाति में पैठ रखने वाले नेता का अभाव हो गया था. दारा सिंह चौहान मऊ के साथ ही बलिया और आजमगढ़ के नोनिया मतदाताओं पर भी अच्छा प्रभाव रखते हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को घोसी और गाजीपुर में बसपा से मात मिली थी. गाजीपुर में मनोज सिन्हा जैसे कद्दावर नेता को भी हार का सामना करना पड़ा था. बलिया और मछलीशहर सीट बीजेपी बमुश्किल जीत सकी थी. ऐसे में पार्टी अब सुभासपा और दारा सिंह चौहान जैसे नेताओं के सहारे राजभर और नोनिया वोट को अपने साथ जोड़कर जीत सुनिश्चित करना चाहती है.
राजभर से गाजीपुर लोकसभा सीट पर हुई डील!
ओमप्रकाश राजभर की एनडीए और दारा सिंह चौहान की बीजेपी में वापसी के लिए किन शर्तों पर बात बनी है? इसे लेकर दोनों में से किसी भी खेमे से कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन राजभर की एनडीए में वापसी तय होने के साथ ही ये चर्चा भी तेज हो गई कि उनको योगी मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ ही बीजेपी गाजीपुर लोकसभा सीट उपचुनाव में सुभासपा को दे सकती है.
हालांकि, गाजीपुर में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बेटे अनुभव सिन्हा भी जनसंपर्क में जुटे हैं. दूसरी तरफ, सपा से पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के चुनाव मैदान में उतरने की भी चर्चा है. दूसरी तरफ, दारा सिंह चौहान को लेकर कहा जा रहा है कि उन्हें योगी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. बीजेपी चौहान को 2024 के लोकसभा चुनाव में घोसी सीट से उम्मीदवार भी बना सकती है.