
उत्तर प्रदेश के संभल में बीजेपी नेता गुलफाम सिंह यादव हत्याकांड का खुलासा हो गया है. जिले के थाना जुनावई क्षेत्र में हुई इस वारदात के पीछे पुलिस ने ब्लॉक प्रमुखी को लेकर चल रहे विवाद को प्रमुख कारण बताया है. मामले में पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता महेश यादव समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. आइए जानते हैं कि किस तरीके से साजिश रचकर गुलफाम यादव को मौत के घाट उतारा गया?
संभल पुलिस के मुताबिक, आरोपी महेश यादव और मृतक गुलफाम यादव के बीच ब्लॉक प्रमुखी को लेकर राजनीतिक रंजिश चल रही थी. महेश ने अपने बेटे के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गुलफाम को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. इसके लिए उसने बरेली जेल में सजा काट रहे अपराधी धर्मवीर उर्फ धम्मा से 19 नवंबर 2024 को मुलाकात की.
इस दौरान महेश ने धर्मवीर की जमानत और अपील का पूरा खर्च उठाने का वादा किया और बदले में गुलफाम की हत्या करने के लिए कहा. महेश इसके लिए राजी हो गया. जिसके बाद धर्मवीर की जमानत में 35 हजार रुपये खर्च किए गए और उसे जेल से बाहर लाया गया. जेल से छूटने के बाद धर्मवीर का ट्रैक्टर भी 1 लाख रुपये देकर छुड़वाया गया.
इन सबके बाद गुलफाम की हत्या का प्लान बनाया गया. लेकिन हत्या को सामान्य मौत दिखाने के लिए विशेष केमिकल युक्त इंजेक्शन का इस्तेमाल करने की योजना बनाई गई. इसके लिए रेकी शुरू की गई. धर्मवीर ने गुलफाम से नजदीकी बढ़ाई. उसके साथ उठना-बैठना शुरू किया.
घटना के दिन यानी 10 मार्च को धर्मवीर पहले से ही गुलफाम के पास मौजूद था, जबकि मुकेश और नेमपाल बाइक से वहां पहुंचे. महेश कुछ दूरी पर खड़ा होकर निगरानी कर रहा था. योजना के अनुसार धर्मवीर और नेमपाल ने गुलफाम सिंह को घेरकर जहरीला इंजेक्शन लगा दिया. वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपी बाइक से फरार हो गए.
25 मार्च को पुलिस ने इस कांड का खुलासा कर दिया. सीसीटीवी फुटेज, सर्विलांस डेटा और मुखबिरों की सूचना के आधार पर जांच-पड़ताल में संदिग्धों की पहचान हुई. पूछताछ में आरोपियों ने जुर्म कबूल कर लिया. मृतक के बेटे ने भी इन्हीं आरोपियों पर शक जाहिर किया था. इसलिए ये सभी पुलिस की रडार पर थे. पूछताछ में आरोपी महेश यादव ने स्वीकार किया कि उसने ब्लॉक प्रमुखी विवाद के कारण हत्या की साजिश रची थी.