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65 करोड़ श्रद्धालु, 6 शाही स्नान और साधु-संतों की तिलिस्मी दुनिया... महाकुंभ के 45 दिव्य दिनों की कहानी!

प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आज अंतिम दिन है. 45 दिनों तक चलने वाले इस भव्य आयोजन में आस्था और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला. 65 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई. 6 शाही स्नान के दौरान आस्था का सैलाब उमड़ा और साधु-संतों की तिलिस्मी दुनिया ने सभी को आकर्षित किया. भव्य अखाड़ों की पेशवाई, मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और श्रद्धा के इस पर्व ने दुनिया को भारतीय संस्कृति की भव्यता से रूबरू कराया. महाकुंभ के अंतिम दिन भी श्रद्धालुओं का सैलाब संगम तट पर उमड़ा हुआ है.

महाकुंभ में महा शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान. (Photo: PTI) महाकुंभ में महा शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान. (Photo: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:29 AM IST

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन 'प्रयागराज महाकुंभ 2025' का आज अंतिम स्नान है. 45 दिनों तक चले इस दिव्य और भव्य आयोजन में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई. यह आंकड़ा आज महाशिवरात्रि के साथ और भी बढ़ने की संभावना है. आस्था, संस्कृति और अध्यात्म के इस महासंगम में देश-विदेश से आए संतों, महात्माओं और श्रद्धालुओं ने इसे एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया.

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महाकुंभ में सभी 13 प्रमुख अखाड़ों ने कल्पवास किया. नागा बाबाओं की पेशवाई और उनके अनूठे हठयोग, तपस्या और साधना ने लोगों को आकर्षित किया.

प्रयागराज महाकुंभ में उमड़े श्रद्धालुओं की संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से अधिक रही. केवल भारत और चीन ही ऐसे देश हैं, जिनकी आबादी इस महाकुंभ में स्नान करने वालों से अधिक है.

कब-कब हुए शाही स्नान?

13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक महाकुंभ में कुल छह शाही स्नान हुए. ये शाही स्नान न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

  • 13 जनवरी - पहला शाही स्नान
  • 14 जनवरी - मकर संक्रांति स्नान
  • 29 जनवरी - मौनी अमावस्या स्नान
  • 2 फरवरी - बसंत पंचमी स्नान
  • 12 फरवरी - माघ पूर्णिमा स्नान
  • 26 फरवरी - महाशिवरात्रि स्नान (अंतिम शाही स्नान)

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समुद्र मंथन से जुड़ी महाकुंभ की पौराणिक कथा!

महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है और इसका संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है. मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ, तब अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में गिरी थीं. इन्हीं चार स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है.

तकनीक का अनूठा प्रयोग... AI से श्रद्धालुओं की गिनती

महाकुंभ 2025 में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया गया. उत्तर प्रदेश सरकार ने 500 से अधिक एआई कैमरों के माध्यम से श्रद्धालुओं की संख्या गिनी. ये कैमरे भीड़ घनत्व, हेड काउंट और फेस रिकग्निशन जैसी तकनीकों का उपयोग कर डेटा जुटा रहे थे.

यह भी पढ़ें: महाशिवरात्रि और महाकुंभ का समापन, खास मौके पर पवित्र स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पहुंच रहे श्रद्धालु

इस बार महाकुंभ 4000 हेक्टेयर (15,812 बीघा) में फैला था. इसे 25 सेक्टरों में बांटा गया था. संगम तट पर 41 स्नान घाट तैयार किए गए थे. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने 102 पार्किंग स्थल, 7 प्रवेश मार्ग और 24 सैटेलाइट पार्किंग भी बनाए थे.

संगम नोज का विस्तार

महाकुंभ में संगम नोज का बेहद महत्व है. यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन होता है. इस बार संगम नोज को और अधिक विस्तृत किया गया था. आईआईटी गुवाहाटी के विशेषज्ञों की परामर्श के साथ यहां 2 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र विकसित किया गया था, जिसमें 630 गाड़ियां पार्क हो सकती थीं.

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सरकार ने महाकुंभ मेला को लेकर बनाया अस्थायी जिला 

योगी सरकार ने महाकुंभ की विशालता को देखते हुए एक अस्थायी जिला 'महाकुंभ मेला' बनाया था, जिसमें चार तहसीलों के 67 गांवों को शामिल किया गया था. पुलिस थाने, प्रशासनिक कार्यालय और चौकियों को अस्थायी रूप से तैयार किया गया था.

महाकुंभ में की गई 7 स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 7 स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी. इसमें एनएसजी कमांडो, यूपी पुलिस के जवान और 300 से अधिक गोताखोर तैनात किए गए थे. स्नान के दौरान आपात स्थिति से निपटने के लिए वाटर एम्बुलेंस की भी तैनाती की गई थी.

महाकुंभ में 10 लाख से ज्यादा लोगों के ठहरने की व्यवस्था थी. इनमें 2000 कैंप की टेंट सिटी, 42 लग्जरी होटल, 204 गेस्ट हाउस, 90 धर्मशालाएं और 3000 बेड के रैन बसेरे बनाए गए थे.

गूगल मैप की अनूठी पहल

गूगल मैप ने इस बार कुंभ मेले के लिए विशेष सुविधा शुरू की थी. इसमें सभी प्रमुख स्थानों जैसे पुल, आश्रम, अखाड़े, सड़कों और पार्किंग स्थलों को मार्क किया गया था, जिससे श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में आसानी से नेविगेट करने में मदद मिली.

प्रयागराज महाकुंभ 2025 ने अपने विशाल आयोजन, अभूतपूर्व श्रद्धालु संख्या और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से इतिहास रच दिया. यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और आस्था का सबसे भव्य पर्व बन गया.

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अगला कुंभ: 2028 में उज्जैन में होगा सिंहस्थ महापर्व

प्रयागराज के बाद अगला कुंभ साल 2028 में उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर होगा, जिसे सिंहस्थ महापर्व कहा जाता है. यह मार्च से मई महीने के बीच आयोजित होगा. उज्जैन में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है.

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