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ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ कुंभ पहुंचे महंत इंद्र गिरी... बोले- तीन शाही स्नानों तक रहूंगा, 97 फीसदी डैमेज हैं दोनों फेफड़े

प्रयागराज में कुंभ में संत-महात्मा और अखाड़ों के प्रमुख अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. इसी क्रम में आवाहन अखाड़े के शिविर में 62 वर्षीय महंत इंद्र गिरी महाराज भी पहुंचे हैं. डॉक्टर ने बाबा को बताया है कि उनके दोनों फेफड़े 97 फीसदी तक खराब हैं. वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. इसी के सहारे हरियाणा के हिसार से कुंभ मेले में पहुंचे हैं.

ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ कुंभ पहुंचे बाबा. (Photo: Aajtak) ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ कुंभ पहुंचे बाबा. (Photo: Aajtak)
आनंद राज
  • प्रयागराज,
  • 29 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:15 AM IST

UP News: प्रयागराज के कुंभ मेले में लगातार देश-विदेश से संत-महात्मा व अखाड़ों के प्रमुख पहुंच रहे हैं. इसी क्रम में आवाहन अखाड़े के शिविर में महंत इंद्र गिरी महाराज ने पहुंचकर सबको चौंका दिया. डॉक्टर ने महंत इंद्र गिरी को बताया है कि उनके दोनों फेफड़े 97 प्रतिशत से ज्यादा डैमेज हैं. वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ हरियाणा के हिसार से कुंभ मेले में पहुंचे. सांस लेने में परेशानी के बावजूद महंत कुंभ में पहुंचे, यह देखकर हर कोई उनके सामने नतमस्तक हो गया.

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दोनों फेफड़े खराब होने के बाद महंत को चार साल पहले डॉक्टरों ने सलाह दी थी कि वे आश्रम से बाहर न जाएं, लेकिन महंत ने अपनी इच्छाशक्ति और आस्था के बल पर महाकुंभ में आने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि यह कुंभ मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. चाहे कुछ भी हो जाए, तीनों शाही स्नान के बगैर वापस नही जाएंगे. हिसार हरियाणा से आए इंद्र गिरी 4 दशक से आवाहन अखाड़े से जुड़े हैं.

इंद्र गिरी साल 2020 से ही पंच अग्नि धुनि तपस्या करते हैं. साल 2000 में भी वो पांच तरफ कंडों से बने हवन कुंड के बीच बैठकर तपस्या की. भीषण गर्मी में पांच तरफ से बड़े हवन कुंड की आग से शरीर तपने लग गया था. इस बीच उनके एक शिष्य ने अनजाने में उनके शरीर पर बाल्टी भर पानी डाल दिया था, जिसके बाद उन्हें बुखार आ गया और उनकी तबीयत खराब हो गई. उन्हें डॉक्टरों ने बताया कि उनके दोनों फेफड़े खराब हो गए हैं.

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सांस लेने में दिक्कत हुई तो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया, जिसके बाद से वे आज तक सिलेंडर के सहारे हैं. महंत 1989 से लगातार कुंभ में आ रहे हैं. वे हर साल अपने शिविर में अपनी देखरेख में भंडारा चलाते हैं. इस हालत में होने के बाद भी उन्होंने किसी परंपरा को नहीं छोड़ा है. वे आवाहन अखाड़े में पहुंचने वाले एक एक शख्स को पूछ-पूछकर पंगत में बैठाते हैं. भोग प्रसाद लेने के बाद उन्हें दक्षिणा भी अपने हाथों से देते हैं. बाबा कहते हैं कि प्रयागराज के संगम तट पर कुंभ मेले में उनके प्राण भी चले जाएं तो उनके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाएंगे.

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