
UP News: प्रयागराज महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हो चुका है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु संगम पर पहुंच रहे हैं. कुंभ में किन्नर अखाड़ा भी मौजूद है. किन्नर अखाड़ा तेरह प्रमुख अखाड़ों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस बार किन्नर समुदाय की स्वीकृति और मान्यता का प्रतीक बन चुका है.
महामंडलेश्वर पवित्रा नंद गिरी ने किन्नर अखाड़े की महत्ता के बारे में कहा कि पहले किन्नरों को समाज में तिरस्कार की नजर से देखा जाता था, लेकिन आज सनातन धर्म ने हमें एक सम्मानित स्थान दिया है. साल 2013 में किन्नर अखाड़े की स्थापना के बाद से हम हर कुंभ में हिस्सा ले रहे हैं. हमारे अखाड़े का महत्व बढ़ रहा है. श्रद्धालु अब किन्नरों के पास आकर उनका आशीर्वाद लेते हैं.
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महामंडलेश्वर पवित्रा नंद ने श्रृंगार के महत्व पर कहा कि श्रृंगार हमारे लिए सिर्फ एक बाहरी सुंदरता नहीं, बल्कि यह हमारी आंतरिक शक्ति का प्रतीक है. हम शिव और पार्वती दोनों का रूप हैं. श्रृंगार के बिना हम अधूरे हैं. जैसे शिव और पार्वती का मिलन बिना श्रृंगार के अधूरा है. किन्नर अखाड़े के सदस्य अपनी सुंदरता और श्रृंगार के लिए जाने जाते हैं. यह उनके आध्यात्मिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की ओर से अघोरी काली हवन किया जाएगा, जो एक रहस्यमय और शक्तिशाली पूजा है. इसके अलावा, मां वैष्णो और मां कामाख्या की पूजा भी होगी. इनके माध्यम से किन्नर अखाड़ा शांति और समृद्धि की शुभकामनाएं देता है. महामंडलेश्वर ने कहा कि किन्नर अखाड़े में आकर लोग दक्षिणा देते हैं और एक रुपये का ले जाते हैं. यह सिक्का न सिर्फ एक श्रद्धा का प्रतीक होता है, बल्कि इसके साथ एक आशीर्वाद भी होता है, जो जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए माना जाता है.
किन्नर अखाड़ा न सिर्फ अध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह किन्नर समुदाय के अधिकारों और सामाजिक स्वीकृति के लिए भी एक प्रतीक बन चुका है. किन्नर अखाड़े के सदस्य आज समाज में सम्मानित स्थान पर हैं और यह बदलाव सनातन धर्म के सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण संभव हुआ है. जैसे-जैसे समय बदल रहा है, किन्नर समुदाय का समाज में स्थान मजबूत हो रहा है. महाकुंभ मेला एक अद्भुत अवसर है, जहां न सिर्फ धार्मिक आस्था, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच समानता और सम्मान की भावना का भी प्रसार हो रहा है. किन्नर अखाड़े का महाकुंभ में शामिल होना बड़ा संदेश है.