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प्रयागराज महाकुंभ में सबसे बुजुर्ग महामंडलेश्वर ने 104 साल की उम्र में किया स्नान, बोले- प्रेम में मुक्ति, शक्ति और भक्ति

प्रयागराज महाकुंभ में पंचायती निरंजनी अखाड़े के सबसे बुजुर्ग महामंडलेश्वर विद्याधर ने 104 साल की उम्र में संगम में स्नान किया है. इस उम्र में महामंडलेश्वर को श्रीमद्भगवतगीता और वेदों के श्लोक कंठस्थ हैं. वो इतने फिट हैं, अपना काम खुद से ही करते हैं.

महाकुंभ में सबसे बुजुर्ग महामंडलेश्वर विद्याधर ने किया स्नान महाकुंभ में सबसे बुजुर्ग महामंडलेश्वर विद्याधर ने किया स्नान
आनंद राज
  • प्रयागराज,
  • 14 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

प्रयागराज महाकुंभ का अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन जारी है. इस स्नान पर्व पर सभी अखाड़ों के साधु-संत अपने तय समय पर संगम घाट पहुंचकर स्नान कर रहे हैं. पंचायती निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों ने भी स्नान कर लिया है. इस अखाड़े के महामंडलेश्वर विद्याधर हैं, जिन्होंने 104 साल की उम्र में संगम तक पहुंचकर स्नान किया है. 

ऐसा माना जा रहा है कि महामंडलेश्वर विद्याधर सबसे अधिक उम्र के महामंडलेश्वर हैं, जिन्होंने संगम तक पहुंचकर स्नान किया है. इतना ही नहीं वो आराम से बोलचाल और अपना हर काम कर रहे हैं. आजतक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतवर्ष विश्व का धर्म का केंद्र है. आज ऐसा शुभ दिन है कि त्रिवेणी मैया के पावन तट पर जोकि वेद की कर्म उपासना ज्ञान की प्रतीक है. वहां पर हम सभी लोग ज्ञान, वेद, गीता सुनते हैं. 

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महामंडलेश्वर विद्याधर को इस उम्र में श्रीमद्भगवतगीता और वेदों के कई श्लोक कंठस्थ हैं. जब उनसे पूछा गया कि आप कबसे संत बने हुए हैं तो इस पर उन्होंने कहा कि संत एक जन्म का नहीं होता है. इसके बाद उन्होंने संस्कृत में श्लोक सुनाने के बाद कहा कि हम बाल्यवस्था से ही संत हैं.  

प्रेम में शक्ति, मुक्ति और भक्ति है: महामंडलेश्वर 

जब 104 साल के महामंडलेश्वर से पूछा गया कि आपका क्या संकल्प है तो उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प वही है, जो संतों का होना चाहिए. वेद भगवान कहते हैं कि जो विशाल होते हैं, उसमें सुख होता है. आप महान कब होते हैं, जब आप अपने से घर की सेवा में आते हैं. फिर घर से मोहल्ले, मोहल्ले से गांव, गांव से तहलील, फिर जनपद, राज्य और देश के बाद सारे विश्व की प्राणियों की तन, मन, धन से निष्काम भाव से सेवा करेंगे. उसका परिणाम हमें त्याग आएगा. फिर हम मुक्त हो जाएंगे और अगर मुक्ति को भी ठुकरा दें तो भगवान के प्रेमी हो जाएंगे. प्रेम में शक्ति भी है, मुक्ति भी है और भक्ति भी है.

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