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संगम की रेती पर हर साल लगने वाले धार्मिक माघ मेले की शुरुआत इस बार 14-15 जनवरी से हो रही है. इस बार का माघ मेला कुंभ मेले की ही तरह भव्य होगा. मेला प्रशासन ने इसके लिए तैयारियां तेज कर दी हैं. मेले के लिए पीपे के 6 पुल बनाए जा रहे हैं.
इस बार के माघ मेले को 2025 के महाकुंभ की रिहर्सल की तरह देखा जा रहा है. मिनी कुंभ की तर्ज पर आयोजित होने जा रहे मेले का ले-आउट भी पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है. अब बहुत जल्द संगम की रेती पर तंबुओं का एक शहर बस जाएगा, जहां आस्था और भक्ति की बयार बहेगी.
किए जा रहे कई नए प्रयोग, प्लास्टिक बैन
इस बार के माघ मेले में कई नए प्रयोग किया जा रहे हैं. मेले में प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन रहेगा. प्रशासन मिट्टी के बर्तनों और दोना-पत्तल को बढ़ावा दे रहा है. मेले में रोशनी के लिए पहली बार सोलर हाइब्रिड लाइट्स लगाई जा रही हैं. यह पूरा कार्यक्रम करीब 768 हेक्टेयर जमीन पर आयोजित होगा.
सुरक्षा व्यवस्था में तैनात होंगे 5000 जवान
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए माघ मेले में 14 थाने, 14 फायर स्टेशन और 41 पुलिस चौकियां बनाई जा रही हैं. मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए करीब 5,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी. सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से भी मेले निगरानी की जाएगी. इसको लेकर मेला विकास प्राधिकरण ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.
माघ मेले में पड़ने वाले प्रमुख स्नान पर्व
14-15 जनवरी: मकर संक्रांति
25 जनवरी: पौष पूर्णिमा
9 फरवरी: मौनी अमावस्या
14 फरवरी: बसंत पंचमी
24 फरवरी: माघी पूर्णिमा
8 मार्च: महा शिवरात्रि