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Gyanvapi के तहखाने में 31 साल बाद जले दीप, देर रात हुई पूजा, साइन बोर्ड पर लिखा- ज्ञानवापी मंदिर मार्ग

वाराणसी कोर्ट का आदेश आने के बाद रातोरात तहखाने से बैरिकेडिंग हटा दी गई थीं. इसके बाद तड़के ही पूजा के लिए लोग जुटने लगे. पूजा की शुरुआत कड़े प्रशासनिक सुरक्षा घेरे में शुरू हुई है.

ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा शुरू ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा शुरू
कुमार अभिषेक/रोशन जायसवाल
  • वाराणसी ,
  • 01 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

वाराणसी कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर ज्ञानवापी (Gyanvapi) के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार दे दिया है. जिसके बाद आज (1 फरवरी) ज्ञानवापी परिसर में आखिरकार 31 साल बाद पूजा-अर्चना शुरू हो गई है. सुबह-सुबह काफी संख्या में लोग पूजा के लिए ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पहुंचे हैं. इस मामले में डीएम ने कहा कि जिला कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराया गया है.

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विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा और अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ ने ब्यास जी के तहखाने में पूजा कराई. पूजा-पाठ का अधिकार काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को सौंपा गया है. 

बता दें कि कोर्ट का आदेश आने के बाद रातोरात तहखाने से बैरिकेडिंग हटा दी गई थीं. इसके बाद तड़के ही पूजा के लिए लोग जुटने लगे. पूजा की शुरुआत कड़े प्रशासनिक सुरक्षा घेरे में शुरू हुई है. भारी फोर्स की मौजूदगी में श्रद्धालु व्यास तहखाने की ओर जा रहे हैं और पूजा-अर्चना कर रहे हैं. काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की तरफ से पूजा करवाई जा रही.  

इस बीच रात में कुछ युवकों ने ज्ञानवापी की तरफ जाने वाले मार्ग पर लगे साइन बोर्ड पर 'ज्ञानवापी मंदिर मार्ग' लिख दिया. जिसकी तस्वीर वायरल हो रही है.

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साइन बोर्ड

दरअसल, वाराणसी कोर्ट के जज अजय कृष्ण विश्वेश ने बुधवार (31 जनवरी) को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का फैसला सुनाया था. उन्होंने जिला प्रशासन को 7 दिन के अंदर व्यवस्था कराने का आदेश दिया था. जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया और महज कुछ ही घंटे में बैरिकेडिंग आदि खोलकर व्यास तहखाने में पूजा की व्यवस्था करा दी गई. 

31 साल बाद व्यास तहखाने में पूजा शुरू 

कोर्ट के फैसले के 9 घंटे बाद ही लोहे के बाड़ हटा दिए गए और देर रात पूजा की शुरुआत भी कर दी गई. गुरुवार रात 12:00 बजे भारी प्रशासन की मौजूदगी में विश्वनाथ मंदिर की तरफ से, जहां बड़े नंदी विराजमान हैं उनके ठीक सामने बैरिकेडिंग को खोलकर तहखाना पर जाने का रास्ता बनाया गया. 

सर्वे के दौरान जो मूर्तियां वहां मिली थीं उसे रखकर देर रात तक पूजा-पाठ कराया गया. आरती की गई और भोग और प्रसाद भी वितरित किए गए. आज से व्यास जी के तहखाना में शयन आरती, मंगल आरती सहित पूजा-पाठ की सभी विधियां वहां मौजूद देवी-देवताओं के विग्रह के सामने पूरी की जाएंगी. प्रशासन ने देर रात तहखाना के भीतर के पूजा आदि की व्यवस्था को काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को सौंप दिया. 

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भारी फोर्स तैनात

गौरतलब है कि महज 9 से 10 घंटे के भीतर ही ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास तहखाने को खोलकर उसमें पूजा-पाठ करने के जिला जज के आदेश का अनुपालन स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने मिलकर करा दिया. कोर्ट के इस आदेश का कंप्लायंस आधी रात को करने के बाद इसकी जानकारी खुद वाराणसी के जिला अधिकारी जो कोर्ट के आदेश पर ही ज्ञानवापी के व्यास तहखाने के रिसीवर बनाए गए हैं के द्वारा साझा की गई. 

वाराणसी कोर्ट ने दिया था फैसला 

मालूम हो कि बीते बुधवार की दोपहर लगभग 3 बजे वाराणसी के जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने यह आदेश दे दिया था कि ज्ञानवापी स्थित व्यास तहखाने की बैरिकेटिंग हटाकर वहां पर पूजा पाठ कराई जाए. जिसके बाद से ही वाराणसी के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच मैराथन बैठकों का दौर शुरू हो गया और रात लगभग 10:00 बजे काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नंबर 4 से अंदर पहुंचकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने बैठक करने के बाद एक्शन में लग गई. 

देर रात लगभग 2 बजे निकलते वक्त जहां वाराणसी के पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने बताया कि सारी व्यवस्था दुरुस्त है तो वहीं, जिला अधिकारी एस. राजलिंगम ने दो टूक कहते हुए यह जानकारी साझा की कि माननीय न्यायालय के आदेश का कंप्लायंस करा दिया गया है. 

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पुजारी ने कही ये बात 

पुजारी माधव दत्त त्रिपाठी ने कहा कि हर सनातनी के लिए यह हर्ष का विषय है, कल की संध्या ने इतनी सुंदर लिखावट लिखी है कि आज का प्रभाव उसे स्वर्ण अक्षर में बदल चुका है. पहले हमें जाने नहीं दिया गया, पर आज से मैं यहां पूजा पाठ की शुरुआत करूंगा. धूप-दीप करेंगे, आरती होगी, सृजन होगा मूर्तियों का. जो बाबा विश्वनाथ की पूजा की प्रक्रिया है वही प्रक्रिया व्यास तहखाना में भी चलेगी. व्यास परिवार बहुत सुंदर पूजा करती आई है. 

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