
ओडिशा रेल हादसे के बाद सारा देश दुख में है. इस रेल हादसे को देश के सबसे बड़े हादसों में से एक माना जा रहा है. लेकिन इससे पहले भी कई ट्रेन एक्सीडेंट देश में हुए हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. 1981 में हुए बिहार रेल हादसे को जहां देश का सबसे बड़ा रेल हादसा माना जाता है. तो वहीं, 1995 में हुए कालिंदी एक्सप्रेस हादसे को कौन भूल सकता है, जिसमें 350 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. चलिए विस्तार से जानते हैं इस विभत्स रेल हादसे के बारे में.
दिन था 20 अगस्त, 1995 का... उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में पुरुषोत्तम एक्सप्रेस और कालिंदी एक्सप्रेस के बीच भयानक टक्कर हो गई थी. रात के करीब 2 बजकर 46 मिनट बजे दिल्ली जाने वाली कालिंदी एक्सप्रेस फिरोजाबाद से रवाना हुई थी. ट्रेन को चला रहे थे लोको पायलट एसएन सिंह.
उन्होंने देखा कि ट्रैक पर नीलगाय खड़ी है. इससे पहले कि लोको पायलट एसएन सिंह ट्रेन को रोक पाते, तभी गाड़ी नीलगाय से जा टकराई. इस टक्कर की वजह से ट्रेन के वैक्यूम ब्रेक एक्टिव हो गए और ट्रेन अपनी जगह पर खड़ी हो गई.
फिरोजाबाद स्टेशन के पश्चिमी केबिन पर असिस्टेंट स्टेशन मास्टर एसबी पांडेय ने केबिनमैन गोरेलाल से फोन करके ट्रैक के क्लियरेंस बारे में पूछा. जवाब मिला कि ट्रैक क्लियर है. स्टेशन मास्टर ने पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को हरी झंदी दे दी, जिसे उसी ट्रैक से गुजरना था जिस पर कालिंदी एक्सप्रेस खड़ी थी.
कालिंदी एक्सप्रेस के पीछे जा घुसी पुरुषोत्तम एक्सप्रेस
सिग्नल मिलते ही 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की तेज रफ्तार से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस फिरोजाबाद स्टेशन से निकल पड़ी. ट्रेन ने थोड़ा ही फासला अभी तय किया था कि लोको पायलट को एक ट्रेन ट्रैक पर पहले से ही खड़ी नजर आई.
ड्राइवर के पास इमरजेंसी ब्रेक लगाने का ऑप्शन था. लेकिन वो जानते थे कि अगर उन्होंने इतनी तेज रफ्तार के बीच ब्रेक लगाए तो ट्रेन के सभी डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाएंगे.
उनके पास अब ज्यादा कुछ करने का ऑप्शन नहीं था. फिर कुछ ही सेकेंड बाद पुरुषोत्तम एक्सप्रेस कालिंदी एक्सप्रेस में पीछे से जा घुसी. ट्रेन की बोगियों में सो रहे सैकड़ों लोगों को जागने तक का मौका ही नहीं मिला. कई बोगियां एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गईं.
सैकड़ों लोग इन बोगियों में पिस गए. हर तरफ चीख-पुकार मच गई. जैसे-जैसे सुबह हुई, हादसे की भयावहता भी सामने आने लगी. ट्रैक के आसपास शरीर के अंग बिखरे पड़े थे. अगले तीन दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस हादसे में 358 लोग मारे गए थे और 393 घायल हुए थे.