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पूर्वांचल के जानी दुश्मन आएंगे साथ... क्या गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल के लिए वोट मांगेंगे अजय राय?

गाजीपुर लोकसभा सीट से मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल सपा से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. मुख्तार यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के मामले में जेल की सजा काट रहा है. राय और अंसारी परिवार के बीच पुरानी अदावत रही है.

अजय राय और अफजाल अंसारी अजय राय और अफजाल अंसारी
विनय कुमार सिंह
  • गाजीपुर ,
  • 22 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सपा और कांग्रेस का गठबंधन हो गया है. सपा ने कांग्रेस को 17 सीटें दी हैं. इस बीच एक सीट को लेकर काफी चर्चा हो रही है और वह सीट है गाजीपुर की. इस सीट से सपा के टिकट पर अफजाल अंसारी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. अफजाल अवधेश राय हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त माफिया मुख्तार अंसारी के भाई हैं. मुख्तार के खिलाफ यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है. दरअसल, अवधेश राय कांग्रेस नेता अजय राय के बड़े भाई थे. 

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सपा-कांग्रेस आए साथ, गाजीपुर में क्या होगा? 

मालूम हो कि बीते दिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया. इस गठबंधन के तहत कुल 17 सीटों पर कांग्रेस यूपी में चुनाव लड़ेगी, जिसमें सपा उसकी मदद करेगी. वहीं, बाकी सीटों पर सपा के लिए कांग्रेस समर्थन जुटाएगी. 

उल्लेखनीय है कि अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा की लोकसभा चुनाव प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट 19 फरवरी को जारी हुई थी. इस लिस्ट में अफजाल अंसारी को गाजीपुर से प्रत्याशी घोषित किया गया था. अफजाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े अवधेश राय हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं और इनकी आपस की कटुता और दुश्मनी जगजाहिर है. 

अजय राय और अंसारी परिवार में अदावत

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दर्जनों बार अजय राय सार्वजनिक मंचों से मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी और उनसे जुड़े लोगों पर हत्या करने, आतंक फैलाने जैसे गंभीर आरोप लगा चुके हैं. इतना ही नहीं बीते साल जब अवधेश राय हत्याकांड मामले में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा मिली तो अजय राय ने अदालत की चौखट पर जाकर माथा टेका था. 

बता दें कि अजय राय मूल रूप से गाजीपुर के मलसा गांव के निवासी हैं. हालांकि, लंबे समय से वो बनारस में ही रह रहे हैं. 3 अगस्त 1991 को उनके सगे बड़े भाई और बीजेपी नेता अवधेश राय की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. जिसमें 32 साल बाद मुख्तार अंसारी को अजय राय की ही गवाही और पैरवी से सजा हुई. 

अब इसे संयोग कहें या राजनीतिक प्रयोग कि अजय राय के नेतृत्व में उनके गृह जनपद गाजीपुर में अफजाल अंसारी को कांग्रेस को गठबंधन धर्म निभाते हुए चुनाव में मदद करनी पड़ेगी. ऐसे में गाजीपुर और पूर्वांचल के क्षेत्रों में अजय राय के स्वजातीय और समर्थक असमंजस में हैं कि अंसारी और राय क्या एक मंच पर आ सकेंगे. 

कैसे हुई थी अवधेश राय की हत्या? 

जानकारी के मुताबिक, वाराणसी के चेतगंज थाना क्षेत्र के लहुराबीर इलाके के रहने वाले कांग्रेस नेता अवधेश राय 3 अगस्त 1991 को अपने भाई अजय राय के साथ घर के बाहर खड़े थे. इसी बीच वैन से पहुंचे बदमाशों ने अवधेश को निशाना बनाकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी. वैन सवार बदमाशों ने अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी थी. अवधेश राय के भाई और पूर्व विधायक अजय राय ने इस घटना को लेकर वाराणसी के चेतगंज थाने में मामला दर्ज कराया था. अजय राय ने अपने भाई की हत्या का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगाया था. अवधेश राय हत्याकांड में पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव उर्फ राकेश न्यायिक को भी आरोपी बनाया गया. 

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बताते चलें कि मुख्तार अंसारी इस समय बांदा जेल में बंद है. वहीं, भीम सिंह गैंगस्टर के केस में सजा सुनाए जाने के बाद गाजीपुर जेल में बंद है. पूर्व विधायक अब्दुल कलाम और कमलेश सिंह की मौत हो चुकी है. राकेश न्यायिक ने इस मामले में अपना केस अलग कर ट्रायल शुरू करवाया है जो प्रयागराज सेशन कोर्ट में चल रहा है. 

इस केस में मुख्तार अंसारी को 5 जून, 2023 को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार देत हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पुलिस की चार्जशीट, लंबी जिरह और गवाही के बाद अवधेश राय हत्याकांड में फैसले तक का सफर आसान नहीं था. कहा तो ये भी जाता है कि मुख्तार ने इस केस से बचने के लिए कोर्ट से केस डायरी ही गायब करवा दी थी. वाराणसी पुलिस ने बीते साल अवधेश राय हत्याकांड की केस डायरी गायब होने के मामले में भी मुख्तार के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी.

क्यों की गई थी ये हत्या? 

जानकारों की माने तो अवधेश राय उस वक्त मुख्तार से लोहा लेने वालों में गिने जाने लगे थे. उसकी हत्या के पीछे कहा जाता है कि चंदासी कोयला मंडी की वसूली और दबंगई वजह थी. दरअसल, अवधेश राय, बृजेश सिंह के करीबी थे और अपनी दबंग छवि के चलते चंदासी कोयला मंडी से लेकर वाराणसी के तमाम बाजार, व्यापारियों से वसूली में मुख्तार अंसारी के लिए रोड़ा बन गए थे. तब चंदासी कोयला मंडी में मुख्तार अंसारी का एकछत्र राज चलता था. हालांकि, बाद में समय बदला तो अवधेश राय भारी पड़ने लगे. मुख्तार के कई करीबियों को अवधेश राय ने सरे बाजार जलील भी किया था. 

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