Advertisement

13 साल की उम्र में घर से टूटा रिश्ता, ₹75 में नौकरी... जानिए कैसा रहा सत्येंद्र दास की जिंदगी का सफर

सत्येंद्र दास ने 1958 में ही अपना घर छोड़ दिया था और अभिराम दास के आश्रम चले गए और वहीं अपनी पढ़ाई शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने संस्कृत में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.

राम मंदिर के पुजारी सत्येंद्र दास का निधन. राम मंदिर के पुजारी सत्येंद्र दास का निधन.
aajtak.in
  • अयोध्या ,
  • 12 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास (Satyendra Das) के निधन के बाद अयोध्या समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. वे तीन दशक से भी ज्यादा वक्त से राम जन्भूमि पर अपनी सेवा दे रहे थे. महज 13 साल की उम्र में गृह त्याग करने वाले सत्येंद्र दास राम भक्ति में ऐसे लीन हुए कि अपनी पूरी जिंदगी राम भक्ति में लगा दिए.

Advertisement

आचार्य सत्येंद्र दास महाराज का जन्म एक धार्मिक परिवार में हुआ था. जहां उन्हें बचपन से ही धर्म और भक्ति की शिक्षा और संस्कार मिले. इसमें उनके माता-पिता ने भी पूरा सहयोग किया और गहन अध्ययन कराया. फिर उन्होंने आगे चल कर इस विषय में निपुणता हासिल की और शास्त्रों का गहरा अध्ययन किया. 

अयोध्या से बचपन का नाता

सत्येंद्र दास का जन्म अयोध्या से करीब 100 किलोमीटर दूर संतकबीरनगर में हुआ था. वे बचपन से ही अपने पिता के साथ अयोध्या जाया करते थे. अयोध्या में उनके पिता अभिराम दास के आश्रम में जाते थे. ये अभिराम ही थे, जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था, जिसे बाद में आधार बनाया गया.

यह भी पढ़ें: जब सत्येंद्र दास के हाथ से गायब हुई रामलला की मूर्ति...जानें 1992 का वो किस्सा

Advertisement

बच्चों को पढ़ाना शुरू किया

सत्येंद्र दास ने 1958 में ही अपना घर छोड़ दिया था और अभिराम दास के आश्रम चले गए और वहीं अपनी पढ़ाई शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने संस्कृत में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. उस वक्त उन्हें केवल 75 रुपये मिलते थे. साल 1992 में जब सत्येंद्र दास की राम मंदिर में नियुक्ति हुई, तब उन्हें वेतन के रुपए में हर महीने 100 रुपए मिलते थे.

साल 2018 तक सत्येंद्र दास का वेतन सिर्फ 12 हजार रुपए महीना था. 2019 में अयोध्या के कमिश्नर के निर्देश के बाद उनका वेतन 13 हजार कर दिया गया था. सत्येंद्र दास ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्होंने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिली.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement