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रामलला की वे 2 मूर्तियां जिन्हें गर्भगृह में नहीं मिल पाई जगह, जानें- इनके कहां कर पाएंगे दर्शन

गणेश भट्ट द्वारा बनाई गई रामलला की तीसरी की मूर्ति को नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में जगह नहीं मिली है. 51 इंच की इस मूर्ति की तस्वीरें अब जारी की गई हैं और मंदिर ट्रस्ट ने कहा है कि मूर्ति को मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा.

रामलला की दो अन्य मूर्तियों की तस्वीरें भी सामने आ गई हैं रामलला की दो अन्य मूर्तियों की तस्वीरें भी सामने आ गई हैं
समर्थ श्रीवास्तव/संजय शर्मा
  • लखनऊ,
  • 24 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST

अयोध्या के राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की एक मूर्ति विराजमान है. इस मूर्ति को मैसूर के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. हालांकि गर्भगृह में स्थापित करने के लिए रामलला की तीन मूर्तियां बनाई गईं थीं. गर्भगृह में विराजमान रामलला की मूर्ति के अलावा अन्य दोनों मूर्तियों की तस्वीरें भी सामने आ गई हैं. अलंकृत रामलला के दूसरे विग्रह की तस्वीर 23 जनवरी को सामने आई थी. इसे प्रथम तल पर लगाया जा सकता है. इस मूर्ति को सत्य नारायण पांडे ने बनाया है, जबकि तीसरी मूर्ति को मूर्तिकार गणेश भट्ट ने बनाया है. इसे फिलहाल मंदिर परिसर में स्थापित नहीं किया गया है. इसकी तस्वीर भी सामने आ गई है. बता दें कि शास्त्रों में वर्णन है निलांबुजम श्यामम कोमलांगम... इसलिए श्यामल रंग की ही श्रीराम की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थान दिया गया है.

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गणेश भट्ट द्वारा बनाई गई रामलला की तीसरी की मूर्ति को नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में जगह नहीं मिली है. 51 इंच की इस मूर्ति की तस्वीरें अब जारी की गई हैं और मंदिर ट्रस्ट ने कहा है कि मूर्ति को मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा. श्यामशिला से बनाई गई इस मूर्ति ने भी रामभक्तों का ध्यान आकर्षित किया है. 

तीसरी मूर्ति को मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा

इस मूर्ति में भी 5 साल के रामलला की छवि दिखाई देती है. 51 इंच की इस मूर्ति को भी कृष्ण शिला के नाम से जाने जाने वाले काले पत्थर से बनाया गया है. जो कर्नाटक के मैसूर में हेगदादेवन कोटे की उपजाऊ भूमि से मिलता है. हालांकि मंदिर के गर्भगृह के लिए इस मूर्ति को नहीं चुना गया. राम मंदिर की देखरेख करने वाले ट्रस्ट ने आश्वासन दिया है कि गणेश भट्ट की मूर्ति को मंदिर परिसर में स्थापित किया जाएगा.

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रामलला की ये मूर्ति गणेश भट्ट ने बनाई है

अरुण ने तीन अरब साल पुरानी चट्टान पर मूर्ति को तराशा

जिस मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना गया वह मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है. उन्होंने तीन अरब साल पुरानी चट्टान पर सावधानीपूर्वक मूर्ति को तराशा है. जो अपने नीले रंग की कृष्ण शिला के लिए जानी जाती है. इस प्राचीन पत्थर की खुदाई मैसूर के गुज्जेगौदानपुरा गांव से की गई थी, जिससे मूर्ति में कालातीत भव्यता का तत्व जुड़ गया.

दिव्य और भव्य है रामलला की मूर्ति

अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की मूर्ति को तीन मूर्तियों में से चुना गया था, क्योंकि इसमें दिव्यता और राजसीपन की झलक है. 5 वर्ष के बालक की छवि का स्वरूप झलकता है. मूर्ति की आंखें, कमल की पंखुड़ियों की याद दिलाती हैं. चेहरे का आकर्षण ऐसा कि भक्तों के चित्त में श्रीराम की छवि बन जाती है.

रामलला की इस मूर्ति को सत्यनारायण पांडे ने बनाया है

मूर्ति 51 इंच की क्यों बनाई गई? 

राम मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित प्रतिमा की ऊंचाई 51 इंच बहुत सोच समझकर रखी गई है. अमूमन भारत में 5 साल के बच्चे की लंबाई 51 इंच के आस-पास होती है. साथ ही 51 शुभ अंक माना जाता है. यही वजह है कि र्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति का आकार भी 51 इंच रखा गया है. गर्भ गृह में स्थापित मूर्ति का निर्माण शालीग्राम पत्थर को तराशकर हुआ है.

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