
अयोध्या में शुरू हुई राम मंदिर ट्रस्ट की दो दिवसीय बैठक में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़े कई अहम निर्णय लिए गए. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले रामलला की मूर्ति के समक्ष अक्षत (चावल) से पूजा होगी. 1 जनवरी से 15 जनवरी 2024 तक पूजित अक्षत को भारत के 5 लाख गांव तक भेजा जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति की फोटो ली जाएगी और राम मंदिर के प्रसाद के साथ लोगों को दी जाएगी.
इससे प्राण-प्रतिष्ठित रामलला की फोटो भारत के कोने-कोने तक हर राम भक्त के घर तक पहुंचेगी. प्राण प्रतिष्ठा के समय रामलाल कौन सा वस्त्र धारण करेंगे? उनका श्रृंगार कैसा होगा? पूजा पद्धति और मौजूदा पूजा पद्धति में क्या बढ़ोतरी होगी? पूजा के समय कौन-कौन से मंत्री होंगे? इन सब के लिए एक धार्मिक कमेटी बनाई गई है. जो इन सभी बिंदुओं पर विचार विमर्श के बाद राम मंदिर ट्रस्ट को बताएंगी.
अभी तक मंदिर निर्माण कार्य में खर्च हुए 900 करोड़
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की बैठक में अब तक मिली धनराशि और खर्च पर भी चर्चा हुई. ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 5 फरवरी 2020 से 31 मार्च 2023 तक मंदिर निर्माण कार्य और मंदिर से जुड़े हुए अन्य खर्चे मिलाकर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. मंदिर ट्रस्ट के बैंक खातों में 3000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि अभी भी जमा है.
चंपत राय ने आगे बताया कि 1 जनवरी से 15 जनवरी के बीच में हिंदुस्तान के 5 लाख गांव तक रामलला की मूर्ति के समक्ष रखे गए अक्षत भेजे जाएंगे. निवेदन किया जाएगा कि अयोध्या जैसा आनंद उत्सव के दिन प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अपने अपने मंदिरों में मनाएं.
प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात भगवान का जो विग्रह प्रतिष्ठित होगा, उसकी फोटो ली जाएगी और अयोध्या आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थ को प्रसाद के साथ दी जाएगी. ताकि एक दो साल में ही हिंदुस्तान के कम से कम 10 करोड़ लोगों के घरों में वो फोटो पहुंचे.