
रामचरितमानस पर अपने बयान को लेकर चर्चा में आए समाजवादी पार्टी (सपा) नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के विरोध पर करारा जवाब दिया. आजतक से खास बातचीत में उन्होंने सपा नेता मनोज पांडे से लेकर पवन पांडे और बीजेपी नेता अपर्णा यादव को रामचरितमानस की चौपाइयों का जिक्र करते हुए नसीहत दी.
इस पूरे विवाद पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की चुप्पी पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मौनं स्वीकृति: लक्षणम् यानी अखिलेश यादव की चुप्पी का मतलब है कि वह समर्थन में हैं. पढ़िए स्वामी प्रसाद मौर्य का पूरा इंटरव्यू-
सवाल: रामचरितमानस का विरोध क्यो?
जवाब: पहली बात तो ये कि अपमान का विरोध करना, गाली का विरोध करना, गाली को धर्म के नाम पर प्रयोग किया जाना और उसको हटाने की मांग करना... ये कोई आरोप नहीं है बल्कि सम्मान और न्याय की मांग है. अगर हम सम्मान करते हैं, गाली न देने की बात करते हैं, अपमान न करने की बात करते हैं तो तमाम धर्म के ठेकेदारों के पेट में दर्द होता है, इसलिए आज अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं और मैंने देखा आज एक हनुमान पीठ है, उसके महंत शास्त्री जी ने अपनी सफाई देते हुए अपने ज्ञान को बिखेरते हुए एक नया परिभाषा लिखा कि शुद्र वह है, जो संतुलन खो देते हैं... तो शास्त्रीजी की भाषा के मुताबिक, आज संतुलन उन्होंने खोया है जो देश के तमाम संत हैं, महंत हैं, धर्माचार्य हैं, जाति विशेष के लोग हैं तो उनकी परिभाषा के अनुसार यह सारे संत-महंत-धर्माचार्य और जाति विशेष के लोग शुद्र है और नीच हैं.
सवाल: सपा की रोली मिश्रा आपकी काफी खिलाफत कर रही हैं?
जवाब: जो नाम आपने लिया वह तो पिद्दी हैं ना... इसलिए ऐसी बचकानी बयानबाजी करने वालों को जवाब देना मैं समझता हूं कि यह मेरी तौहीन होगी.
सवाल: विरोध करने वालों में दूसरा नाम अपर्णा यादव का आता है, मुलायम परिवार की छोटी बहू हैं, उनका कहना है कि नेताजी कहा करते थे कि जो मिले उसे सम्मान पूर्वक और प्यार पूर्वक रखना चाहिए फिर अचानक ये भारतरत्न की मांग कहां से आ गई?
जबाव: अगर सम्मान पूर्वक रखना चाहिए तो फिर समाजवादी पार्टी छोड़ करके भाजपा में क्यों गई थीं?
सवाल: आपकी पार्टी के नेता पवन पांडे ने कहा कि आपको अल्प ज्ञान है.. ब्राह्मणों और अपना इतिहास पढ़िए और अगर आपको लगता है कि नीच जाति वाले नहीं रहते तो 14 कोसी परिक्रमा में आइए और देखिए सबसे ज्यादा भीड़ वहां पर दलितों की है.
जबाब: जो आदिवासी हैं, दलित हैं, अनजाने हैं, गाली को धर्म मान बैठे हैं... इनके मकड़ जाल में फंसे थे... उन्हीं को सम्मान के साथ खड़ा करने का प्रयास कर रहा हूं और जिस नाम का हवाला आप दे रहे हैं वह कितने ज्ञानी हैं... जग जानता है.
सवाल: सपा विधायक मनोज पांडेय ने इशारों-इशारों में आफको कहा कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको ठगा नहीं... क्या प्रतिक्रिया देंगे?
जबाब: जिसका आप जिक्र कर रहे हैं... वह अपने पदों पर रहते हुए कितने लोगों के खेत लिखवा लिए? कितने लोगों के जमीन लिखवा लिए? कितने लोगों के चूना लगा चुके हैं? सब जानते हैं इसलिए ऐसी हरकत करने वालों के विषय में कुछ नहीं कहना चाहता... मैं अगर बोलूंगा तो बहुत बड़ा भंडाफोड़ हो जाएगा.
सवाल: एक मंत्री ने कहा कि सब कुछ आपके शीर्ष नेता यानी अखिलेश यादव करवा रहे हैं... एक शख्स को उन्होंने (अखिलेश) ब्राह्मणों को गाली देने के लिए छोड़ दिया और दूसरे को लगा दिया कि आप दलितों को चिल्लाते रहिए ताकि दलितों की राजनीति 2024 के लिए मजबूत होती रहे.
जवाब: जिस राज्यमंत्री का आप इशारा कर रहे हैं... आज वह भाजपा में है तो स्वाभाविक रूप से भाजपा की जुबान बोलेंगे, अब भाजपा में तो अपनी बात कह ही नहीं सकते, भाजपा उसी मानसिकता की पार्टी है, जिसके खिलाफ मैंने आवाज उठाई है.. उनका कहना स्वाभाविक है.. चोर-चोर मौसेरे भाई.
सवाल: आप बीजेपी में थे तो रामचरितमानस पर सवाल नहीं उठाए, लेकिन अभी क्यों सवाल उठा रहे हैं.
जवाब: जब कभी प्रसंग आता है, तभी बात छीड़ती है... हम तमाम प्रश्नों का उत्तर दे रहे हैं क्योंकि आप प्रश्न कर रहे हैं... पहले भी मैं इस प्रकार की आपत्ति दर्ज कराता रहा हूं, लेकिन वैचारिक टकराहट देशव्यापी हुआ यह पहली बार है, लेकिन हमलावर मैं पहले भी था.
सवाल: आखिर 2023 में स्वामी कहां होंगे? अपनी नई पार्टी बनाएंगे या स्वामी प्रसाद मौर्य वापस फिर से हाथी की सवारी करने वाले हैं.
जवाब: जिसको मैं छोड़ता हूं, उधर पलटकर नहीं देखता हूं.... आज मैं समाजवादी पार्टी में हूं, आगे भी रहूंगा, लोग कयासबाजी कुछ भी लगाए उनके हाथ कुछ आने वाला नहीं है.