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रामचरितमानस: स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर अखिलेश की चुप्पी, शिवपाल ने किया किनारा, सपा के सवर्ण नेता आक्रामक

उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों रामचरितमानस को लेकर राजनीति गरमा गई है. स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान पर कायम हैं तो अखिलेश यादव ने खामोशी अख्तियार कर रखा है. शिवपाल यादव ने स्वामी प्रसाद से किनारा कर लिया है और इसे उनका निजी बयान बता रहे हैं जबकि सपा के सवर्ण समुदाय के नेताओं ने आक्रमक रुख अपना लिया है.

स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव
कुबूल अहमद/कुमार अभिषेक
  • नई दिल्ली/लखनऊ,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए कुछ चौपाई हटाने की मांग कर उत्तर प्रदेश के सियासी माहौल को गरमा दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुप्पी साध रखी है. सपा के बड़े नेताओं ने भी खामोशी अख्तियार कर लिया है, लेकिन पार्टी का एक तबका स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के खिलाफ मुखर है. सपा के दलित-पिछड़े नेता दबी जुबान से स्वामी प्रसाद के समर्थन में खड़े हैं तो पार्टी के सवर्ण नेता विरोध में उतर गए हैं. 

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मनोज पांडेय ने खोला मोर्चा

विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय सबसे ज्यादा स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर मुखर हैं. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस एक ऐसा 'ग्रन्थ' है, जिसे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोग पढ़ते हैं, और इसका पालन भी करते हैं. रामचरितमानस हमें नैतिक मूल्यों और भाइयों, माता-पिता, परिवार और अन्य लोगों के साथ संबंधों के महत्व को सिखाती है. निषादराज और श्रीराम का मिलना हो या फिर सबरी के झूठे बेर का प्रसंग. इस तरह से रामचरितमानस दलित, पिछड़े और आदिवासी सभी का सम्मान सिखाती है. 

राकेश प्रताप ने खड़े किए सवाल

गौरीगंज से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने कहा कि जो भगवान राम या रामायण पर सवाल उठा रहा है, वह न तो सच्चा सनातनी हो सकता है और ना सच्चा समाजवादी. हमारे आदर्श राम हैं उनका अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते. स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो कहा ये सपा की भाषा नहीं है ये उनकी व्यक्तिगत भाषा और बयान है. उन्होंने कहा प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर खाए, निषादराज को अपना मित्र बनाया. राम से बड़ा सच्चा समाजवादी कौन हो सकता है इस धरती पर. राम से बड़े किसी समाजवादी ने जन्म नहीं लिया. डॉ राम मनोहर लोहिया राम और रामायण को सही मानते तो आज उस पर कोई बयान दे रहा तो वह उचित नहीं, इसकी निंदा करता हूं. 

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मेहरोत्रा ने कहा- माफी मांगे

स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि यह उनका निजी बयान है, इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है. नेताओं को जनता की समस्याओं आदि पर बोलना चाहिए. किसी धार्मिक पुस्तक पर बोलने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए. 

ऋचा ने दिलायी लोहिया की याद

सपा नेता डा. ऋचा सिंह ने स्वामी प्रसाद मौर्य को छद्म समाजवादी बताते हुए कहा कि डॉ. लोहिया के समाजवाद को पढ़ना चाहिए जो समाजवाद और श्रीराम में सामंजस्य देखते हैं. साथ ही इस बात का भी स्पष्टीकरण देना चाहिए अभी तक अपनी बेटी को उन्होंने समाजवाद रास्ता क्यों नहीं दिखाया या वो भी अवसर आने पर. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि दलितों और वंचितों के नाम पर सत्ता की मलाई खाने वाले, जाति के नाम पर राजनीति करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने आजतक किसी भी दलित-वंचित के हित में काम किए हों तो उसे बताएं.  

स्वामी के खिलाफ सवर्ण नेता मुखर

स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सपा के जिन चार नेताओं ने सवाल खड़े हैं, वो सभी उच्च जाति से आते हैं. मनोज पांडेय और स्वामी प्रसाद के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई जगजाहिर है. मनोज पांडेय ब्राह्मण समुदाय से आते हैं. राकेश प्रताप सिंह और डा. ऋचा सिंह दोनों ही राजपूत समाज से हैं जबकि रविदास मेहरोत्रा पंजाबी खत्री हैं. सपा ने अभी तक स्वामी प्रसाद मौर्य पर पार्टी लाइन तय नहीं की है. अखिलेश यादव पूरी तरह से खामोश हैं तो रामगोपाल यादव ने भी चुप्पी साध रखी है. सपा की यह रणनीति है या फिर वक्त की नजाकत की थाह ले रही है. 

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अखिलेश यादव क्यों खामोश

अखिलेश यादव यूपी की सियासत में जिस तरह से समाजवादी और अंबेकरवादियों को साथ लेकर चल रहे हैं, उस रास्ते में कई रोड़े हैं. माना जा रहा कि अखिलेश यादव रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों पर खामोशी अख्तियार कर सियासी थाह ले रहे हैं, लेकिन सवर्ण नेता मुखर होकर दोहरा दांव चल रहे हैं. सपा के ओबीसी और दलित नेता भी चुप हैं, लेकिन दबी जुबान में स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में भी खड़े हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि यह अखिलेश यादव की रणनीति का हिस्सा है या फिर स्वामी प्रसाद के बयान का डैमेज कन्ट्रोल करनी की सियासत? 

शिवपाल ने किया किनारा

हाल ही में सपा में अपनी पार्टी का विलय करने वाले शिवपाल सिंह यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी को उनका निजी बयान बताया. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से सहमत नहीं है. ये उनका अपना व्यक्तिगत बयान है पार्टी का इससे कोई लेना देना नहीं. हम लोग भगवान राम और कृष्ण के आदर्शों पर चलने वाले लोग हैं. इसके साथ ही उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या बीजेपी भगवान राम के बताए रास्ते पर चलने वाली पार्टी है. 

 

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