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रामचरितमानस विवाद: स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब सपा प्रवक्ता ने दिया विवादित बयान, कहा- हटा दी जाएं ऐसी चौपाइयां

स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए बयान को अभी तक कई नेता निजी बताते रहे हैं, लेकिन अब पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता ने ही उनका समर्थन करते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. इससे पहले सपा नेता और पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति ने भी मौर्य का समर्थन करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में कुछ आपत्तिजनक पंक्तियां हैं.

फाइल फोटो फाइल फोटो
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 02 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता ने उनका समर्थन किया है. सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने भी तुलसीदास की उन चौपाइयों को हटाने की मांग की है, जिनको लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान दिया था. 

स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिए गए बयान को अभी तक कई नेता निजी बताते रहे हैं, लेकिन अब पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता ने ही उनका समर्थन करते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. इससे पहले सपा नेता और पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति ने भी मौर्य का समर्थन करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में कुछ आपत्तिजनक पंक्तियां हैं, उन्हें सरकार हटा दे या फिर रामचरित मानस को ही बैन कर दिया जाए. 

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ब्रजेश प्रजापति ने कहा कि रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों से आदिवासी, दलित, पिछड़े समाज और महिलाओं को ठेस पहुंचती है. बयान के साथ ही ब्रजेश प्रजापति ने सोशल मीडिया में भी रामचरित मानस की एक चौपाई को हाईलाइट करते हुए पोस्ट डाली. उसमें उन्होंने लिखा 'इस पर हमारा भी विरोध है.' 

इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य के सवाल पर कहा था कि बीजेपी हम लोगों को शूद्र मानती है. मैं विधानसभा में सीएम योगी से कहूंगा कि वो इसके बारे में पढ़कर सुनाएं.  

क्या कहा था स्वामी प्रसाद ने?  

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए.  

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रामचरितमानस के अंश पर जताई आपत्ति 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं. 

 

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