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UP: बिजनौर वन विभाग की टीम ने तस्करी कर बेचने के लिए लाए गए दुर्लभ प्रजाति के रेड सैंड बोआ (दो मूंह वाले) दो सांपों के साथ 3 तस्करों को गिरफ्तार किया है. इन तस्करों को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम ने 50 लाख रुपए में सांप खरीदने का सौदा किया था. जब तस्कर सांप बेचने के लिए आए तो वन विभाग की टीम ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया और दोनों सांप बरामद कर लिए.
दरअसल, बिजनौर वन विभाग की टीम ने जानकारी मिली थी की कुछ सांप तस्कर रेड सैंड बोआ (दो मुंह वाले सांप) को बेचने की फिराक में हैं. वन विभाग की टीम ने खरीददार बनकर इन तस्करों से सांपों को खरीदने के लिए संपर्क किया. सौदा 50 लाख रुपये में तय हुआ था.
तस्करों से टीम ने स्योहारा - मुरादाबाद रोड पर एक स्थान पर डील के लिए बुलाया. तीनों तस्कर नूर हसन, चांद बाबू, मोहर्रम अली दो सांप लेकर टीम के बताए हुए स्थान पर पहुंचे. यहांं पर पहले से वन विभाग की टीम के वन रेंजर विकास कुमार वरुण, वनरक्षक प्रवीण सिरोही और सौरभ कुमार मौजूद थे.
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सांप किए बरामद, तस्कर गिरफ्तार
तस्करों के पहुंचने के बाद वन विभाग पुलिस के तीनों जवान उनसे मिले. तस्करों ने सांप दिखाए. सांप को देखने के बाद तुरंत ही वन विभाग पुलिस ने तस्करों को गिरफ्तार कर लिया. टीम तीनों को बिजनौर लेकर पहुंची.
करोड़ों रुपये है सांपों की कीमत
बिजनौर वन विभाग के एसडीओ ज्ञान सिंह के अनुसार आरोपियों के खिलाफ तस्करी के साथ-साथ वन्य जीव अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई है. उन्होंने आगे कहा कि इन सांपों का बिजनौर के जंगलों में मिलना बहुत ही दुर्लभ बात है. यह बहुत ही मुश्किल से पाए जाते हैं और इनकी बड़े पैमाने पर महाराष्ट्र में तस्करी होती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन सांपों को करोड़ों रुपयों में बेचा जाता है.
एसडीओ के मुताबिक गिरफ्तार किए गए तस्करों में शामिल नूर हसन और चांद बाबू मुरादाबाद के भोजपुर के रहने वाले हैं. तीसरा तस्कर मोहर्रम अली बिजनौर के गांव सदाफल का रहने वाला है. पुछताछ में इन लोगों ने कहा है कि वह काफी समय से सांपों की तस्करी करते आ रहे हैं. जंगल से सांप पकड़कर महाराष्ट्र और अन्य स्थानों पर बेच देते थे.
शक्ति वर्धक दवा बनाने में होता है इस्तेमाल
कहा जाता है कि रेड सैंड बोआ सांप का उपयोग शक्ति वर्धक दवा बनाने में किया जाता है. इस कारण से इनकी कीमत करोड़ों रुपये में हैं.