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डमी कैमरा, गले में आईडी और NCR News का माइक, पत्रकार बनकर पहुंचे थे अतीक के हत्यारे

अतीक अहमद और अशरफ अहमद की प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई. मीडिया के सामने हुए इस हत्याकांड से शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया. इस हमले के 35-40 सेकेंड सबसे खास थे, जिसमें क्या कुछ घटा जानिए मौके पर मौजूद कैमरामैन नीरज से.

अतीक और अशरफ पर तीन हमलावरों ने गोली चलाई अतीक और अशरफ पर तीन हमलावरों ने गोली चलाई
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 3:54 AM IST

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात साढ़े दस बजे के करीब हत्या हो गई. प्रयागराज के काल्विन हॉस्पिटल में पुलिस उन्हें मेडिकल के लिए लेकर आई थी. इसी दौरान जब वह मीडिया से मुखातिब हुए ये वारदात अंजाम दी गई. कुल मिलाकर 10 मिनट और समय को और बारीकी से देखें तो 40 सेकेंड में सबकुछ हो गया. इसे करीब से देखा आजतक के संवाददाता समर्थ और कैमरामैन नीरज ने. कैमरे के लेंस और उनकी आंखों के सामने ही क्या कुछ घटा, जानिए नीरज की कहानी, उनकी ही जुबानी...

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वक्त 10 बजे से ऊपर का था. अस्पताल में मैं अपने साथी पत्रकार के साथ पहुंच चुका था. अन्य चैनलों के भी पत्रकार जुट रहे थे. वजह थी, कि पुलिस अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को इस अस्पताल में मेडिकल के लिए लाई थी. हम सभी तकरीबन आधे घंटे से उनके आने का इंतजार कर रहे थे. ये पहला मौका होता, जब अतीक अपने बेटे असद के एनकाउंटर के बाद पहली बार कुछ बोलने वाला था और मीडिया उससे सवाल करती.    

पटाखे जैसी आवाज, धुंआ और सब समझ के बाहर

जब पुलिस अंदर आई तो हम लोग कैजुअली साथ आ रहे थे. इसी दौरान अतीक और अशरफ मीडिया से मुखातिब होते हैं. इस दौरान उससे सवाल होता है, जिसका जवाब देना वह शुरू करता है. अभी उसने कुछ शब्द बोले ही थे कि इतनी तेज बिल्कुल पटाखे जैसे आवाज आती है. अचानक कुछ समझ ही नहीं आता है कि क्या हुआ है? अगल-बगल कोई जान ही नहीं पाया. सब कुछ बहुत तेजी से हुआ, और धुंध जैसी छा गई.  पांच-छह सेकेंड में ये समझ आया कि ये फायरिंग हो गई औऱ फिर कुछ कदम पीछे लिए तो देखा कि ताबड़तोड़ फायरिंग हो रही है. 

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Atiq Ahmed and Ashraf shot dead: '3 लोग मीडियाकर्मी बनकर आए...', पुलिस ने बताई अतीक-अशरफ की हत्या की पूरी कहानी

'6 कदम पीछे हटे तो कुछ नजर आया'

फायरिंग होते ही मेरे हाथ में कुछ बर्न सा हुआ और मैंने देखा भी. इसके बाद धुंआ सा दिखा, एकदम से फायर की आवाज आई और सब तितिर-बितर हो गया. पुलिस खुद कुछ समझ नहीं आई. मैंने भी अपनी स्थिति से 6 कदम पीछे लिए और फिर सामने देखने की कोशिश की. अब जो नजर आया तो देखा कि अतीक और अशरफ नीचे पड़े हैं और तीन लोग उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे हैं.  

ऐसी थी हमलावरों की स्थिति

35-40 सेकेंड का ये घटनाक्रम बहुत तेजी से हुआ. आंखों ने देख तो सब कुछ लिया, लेकिन दिमाग सोच नहीं पाया. हुआ कुछ यूं था कि अतीक से बेटे के जनाजे में न जाने को लेकर सवाल पूछा गया था. वह और अशरफ इसका जवाब देते हुए कुछ शब्द ही बोल पाए थे कि तभी अतीक के सिर पर फायर हुआ. पहला फायर होते ही सब किनारे हो गए. अतीक और अशरफ सामने थे. एक हमलावर दाईं ओर, दूसरा बाईं ओर तीसरा हमलावर पीछे थे. अतीक और अशरफ दोनों ही तीन ओर से घिरे हुए थे. 

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हमलावरों ने सरेंडर-सरेंडर चिल्लाकर छोड़ दी बंदूक

बेतहाशा फायरिंग के बाद हमलावरों ने हाथ खड़े कर दिए. उन्होंने पुलिस को देखा और सरेंडर-सरेंडर चिल्लाए. इसके साथ ही उन्होंने पिस्टल छोड़ दी. थाना इंजार्ज ने उन्हें काबू करके जीप में डाला. तीसरा हमलावर जमीन में गिरा दिखा, जिसे पुलिस ने लेटे-लेटे ही कब्जे में लिया. इससे पहले पुलिस किसी भी सीन या फ्रेम में नहीं थी. जब हाथ में फायर बर्न होने के बाद मैं पीछे हटा था, तब मैंने एक प्वाइंट पर खुद पर कंट्रोल करते हुए इस पूरे सीन को बहुत बारीकी से देखा. मैंने कैमरे का वाइड फ्रेम बनाया, जिसमें तीनों हमलावर साफ-साफ नजर आ रहे थे. दिमागी तौर पर 30-35 सेकेंड मेरे लिए बिल्कुल निशब्द हैं. अगले ही पल अतीक और उनका भाई जमीन पर खून से लथपथ जमीन पर नजर आ रहे थे. पुलिस नदारद थी, आसपास भी नहीं थी. मेरे वाइड एंगल फ्रेम में कोई नहीं दिख रहा है. हमलावरों ने जब पिस्टल छोड़ी तभी पुलिस ने उन्हें काबू किया. 

मौके पर मिले डमी कैमरे और आईकार्ड

मौके पर कैमरे और आइकार्ड भी पड़ा दिखा, जिस पर किसी पत्रकार ने कोई क्लेम नहीं किया. पुलिस कह रही है कि हत्यारे पत्रकार बनकर आए थे. हो सकता है कि वह कैमरा-आईकार्ड लेकर आए थे. वैसे मैं जबसे चैनल के लिए यहां कवर कर रहा हूं तो लगभग सभी साथियों को जानता हूं. शुरुआत में इस पर ध्यान नहीं दिया कि हम पत्रकारों के बीच कोई ऐसा था. 

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