
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के अवसर पर उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले अमर शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत 'कीर्ति चक्र' से सम्मानित किया गया. यह शांति कालीन द्वितीय सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है, जो मरणोपरांत कैप्टन अंशुमान के परिवार को दिया गया. कैप्टन अंशुमान सिंह देवरिया जिले के प्रथम शहीद है जिन्हें यह वीरता पुरस्कार मिला है.
खुद की जान देकर, बचाई थी साथियों की जिंदगी
दरअसल, सियाचिन ग्लेशियर में 19 जुलाई 2023 को बंकर में अचानक आग लग गई थी. कैप्टन अंशुमान सिंह जवानों को बचाने के लिए बंकर में घुस गए. उन्होंने चार जवानों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया लेकिन खुद अंदर फंस गए जिसमें वह बुरी तरह झुलस गए थे. उन्हें हेलिकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया,जहां इलाज़ के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.
'आज तक' से फोन पर हुई बातचीत में शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह (सेना में सूबेदार पद से सेवानिवृत)ने बताया कि भारत सरकार ने उनके बेटे को उचित सम्मान दिया है. एक पिता के लिए पुत्र के खोने से बड़ा कोई दुख नहीं होता लेकिन उसने देश की सेवा में अपने प्राणों को जिस वीरता से न्योछावर किया उससे आज मुझे गर्व है. क्योंकि, मैं भी एक सैनिक रहा हूं. एक सैनिक के लिए तिरंगे में लिपट कर आना, मोक्ष के बराबर होता है.
पिता बोले- बेटे पर गर्व है
रवि प्रताप सिंह ने कहा कि कैप्टन अंशुमान परमधाम को जा चुके हैं. जाना तो इस दुनिया से सबको है लेकिन जिन कर्मों के साथ वह गए हैं, जिस बहादुरी के साथ वह देश की सेवा करके गए हैं, वह पीढ़ियां याद रखेंगी. वह हमारे परिवार के साथ-साथ हमारे क्षेत्र, जिले का भी नाम रोशन करके गए हैं. इसलिए उनके पिता होने बहुत ही गर्व महसूस करता हूं. साथ ही जिस तरीके से भारत सरकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश सरकार से योगी आदित्यनाथ जी व जिलाधिकारी आदि का सहयोग मिला है उसके लिए कृतज्ञ रहूंगा.
आपको बता दें कि देवरिया जिले के थाना लार के ग्राम बरडीहा दलपत के रहने वाले रवि प्रताप सिंह सेना में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं. इनके दो बेटे और एक बेटी है. इनके बड़े बेटे अंशुमान सिंह 27 वर्षीय AFMC के तहत सेना में शामिल हुए थे. अंशुमान सिंह 26 पंजाब रेजिमेंट में मेडिकल ऑफिसर थे, जिनकी पोस्टिंग सियाचिन ग्लेशियर में थी.
कुछ महीने पहले ही हुई थी शादी
19 जून 2023 को सियाचिन ग्लेशियर में बंकर में अचानक आग लग गई थी. उसमें फंसे चार जवानों को इन्होंने सुरक्षित निकाल लिया था लेकिन ये बंकर में खुद फंस गए थे और बुरी तरह झुलस गए थे. इन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया था जहां इलाज़ के दौरान अंशुमान की मृत्यु हो गई थी.
इनकी शादी मात्र कुछ माह पूर्व हुई थी. इस घटना के परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा था. अब मरणोपरांत जब उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा रहा है तो पिता रवि प्रताप सिंह और मां मंजू सिंह समेत पूरा परिवार व क्षेत्र गौरवांवित महसूस कर रहा है.