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'विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत खड़ा होकर रहेगा, मंदिर उसका ही प्रतीक', बोले मोहन भागवत

प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न होने के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस अवसर पर मोहन भागवत ने कहा, 'इस युग में राम लला के यहां वापस आने का इतिहास जो कोई भी श्रवण करेगा उसके सारे दुख-दर्द मिट जाएंगे, इतना इस इतिहास में सामर्थ्य है.'

अयोध्या में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत अयोध्या में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

राम मंदिर, अयोध्या में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान भव्य समारोह के बाद पूरा हुआ. अनुष्ठान पूरा होने के बाद मंदिर परिसर में आयोजित समारोह को पीएम मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने संबोधित किया. इस अवसर पर संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'आज 500 वर्षों बाद रामलला यहां लौटे हैं और जिनके प्रयासों से हम आज का यह स्वर्ण दिन देख रहे हैं उन्हें हम कोटि-कोटि नमन करते हैं. इस युग में राम लला के यहां वापस आने का इतिहास जो कोई भी श्रवण करेगा उसके सारे दुख-दर्द मिट जाएंगे, इतना इस इतिहास में सामर्थ्य है.' 

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पीएम के 11 दिन के अनुष्ठान को बताया तप

पीएम मोदी के 11 दिन के कठोर व्रत का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा, 'मुझे पता चला कि इस समारोह के लिए प्रधानमंत्री ने कठोर व्रत रखा. मेरा उनसे पुराना परिचय है और वो तपस्वी हैं ही. अयोध्या में रामलला आए, अयोध्या से बाहर क्यों गए थे? अयोध्या उस पुरी का नाम है जिसमें कोई द्वंद नहीं, कोई कलह नहीं है. राम जी 14 वर्ष बाद वापस आए और कलह खत्म हुआ. रामलला के इस युग में आज के दिन फिर वापस आने का इतिहास जो श्रवण करेगा उसका हर दुख मिटेगा, पीएम मोदी ने तप किया अब हमको भी तप करना है.'

आपसी कलह को करना होगा खत्म

रामराज्य का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'रामराज्य के सामान्य नागरिकों का जो वर्णन है हम भी इस भारत देश की संतानें हैं. हमें सारे कलह को विदाई देनी पड़ेगी, छोटे-छोटे कलह को लेकर लड़ाई करने की आदत छोड़नी होगी. भगवान धर्म के चार मूल्य हैं- सत्य, करुणा, सुचिता, अनुशासन. इन्हें अपनाना होगा. हम सबके लिए चलते हैं, सब हमारे हैं इसलिए हम चल पाते हैं. आपस में समन्व्यय रखकर चलना सत्य का आचरण है. करुणा का अर्थ है सबके प्रति करुणा, सेवा करें. दोनों हाथों से कमाएं अपने लिए जरूरत के मुताबिक रखें बाकी समाज को वापस कर दें. सुचिता पर चलना है जिसके लिए संयम चाहिए. अपनी सब बातें सही होंगी ऐसा ठीक नहीं है. अपने को संयम में रखेंगे तो सब ठीक होगा. और अनुशासन का पालन करना अपने समाज, कुटुंब, समाज में अनुशासन से सहना है.'

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भागवत ने कहा कि सब मिलकर चलेंगे और अपने देश को विश्व गुरु बनाएंगे. पांच सौ वर्ष  के संघर्ष के बाद ये घड़ी आई है. आज के दिन जिन्होंने संघर्ष  किया उन्हें याद करने का दिन है. उनका ये व्रत हमें आगे लेकर जाना है. जिस धर्मस्थापना को लेकर रामलला आए हैं उनका आदेश सिर पर लेकर हम यहां से जाएं. 

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