
Hathras stampede 2024: उत्तर प्रदेश के हाथरस की भगदड़ में 121 मौतों के बाद नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा चर्चा में हैं. भोले बाबा का असल नाम सूरज पाल सिंह जाटव है. यूपी के एटा जिला निवासी भोले बाबा अपने सत्संग के अलावा अजब-गजब अंदाज के चलते भी सुर्खियों में रहते हैं. बाबा किन्हीं अन्य साधु संतों की तरह गेरुआ वस्त्र धारण नहीं करते और न ही किसी भगवान की तस्वीर अपने कार्यक्रमों में लगाते. साकार हरि अपने प्रवचनों में सफेद थ्री पीस सूट-बूट और महंगे चश्मे में दिखते हैं. बाबा के पास लगजरी कारों का काफिला है और खुद की वर्दीधारी फौज भी है. इस लंबी चौड़ी फौज को आश्रम के सेवादार कहा जाता है.
खास बात यह है कि साकार हरि उर्फ भोले बाबा के साथ उनकी पत्नी भी सत्संग के मंच पर बैठती है. अनुयायियों का दावा है कि बाबा कोई भी दान-दक्षिणा या चढ़ावा आदि नहीं लेते हैं. बाबा भक्तों की सेवा सेवादार बनकर करते हैं. अपने प्रवचनों में पाखंड का विरोध करते हैं. मानव सेवा को सबसे बड़ा मानने का संदेश देते हैं.
भोले बाबा के नाम से विख्यात नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव उत्तर प्रदेश पुलिस में 18 साल नौकरी कर चुके हैं. उन्होंने विभाग के गुप्तचर ब्यूरो और तमाम थानों में सेवाएं दीं. फिर करीब 26 साल पहले वीआरएस लेकर पत्नी के संग सत्संग शुरू कर दिया.
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पश्चिमी यूपी के जिलों में बाबा के कई कई एकड़ जमीन पर आश्रम हैं, जहां लगातार सत्संग के कार्यक्रम चलते रहते हैं. बाबा के अनुयायियों में सबसे बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग का है. वंचित वर्ग बाबा को भोले बाबा के रूप में देखते हैं.
यौन शोषण का आरोपी
सूरजपाल जाटव पर यौन शोषण समेत 5 केस दर्ज हैं. यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल रहते हुए यौन शोषण का आरोप लगा तो उसे बर्खास्त कर दिया गया था. यह दावा यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने aajtak से बात करते हुए किया.
जमीनी स्तर पर फैन फॉलोइंग
खास बात यह है कि इंटरनेट के जमाने में अन्य साधु-सतों और कथावाचकों से इतर सोशल मीडिया से दूर हैं. बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं है. कथित भक्तों का दावा है कि नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा के जमीनी स्तर पर खासे अनुयायी हैं.
कोरोना काल में 50 हजार की भीड़ जुटा ली
साल 2022 में कोविड गाइडलाइन के बावजूद भोले बाबा ने अपने सत्संग में 50 हजार लोगों की भीड़ जुटा ली थी जबकि इजाजत सिर्फ 50 लोगों की मिली थी. इससे शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई थी. यूपी के फर्रूखाबाद का यह पूरा मामला था. उस दौरान पुलिस प्रशासन ने कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके इतिश्री कर ली थी. खास बात यह है कि किसी भी कार्यक्रम में हालात बिगड़ने पर आयोजकों के ऊपर केस दर्ज कर लिया जाता है. हाथरस की भगदड़ के बाद भी पुलिस ने मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति के आयोजकों को आरोपी बनाया है. FIR में बाबा का नाम नहीं है.
FIR में बाबा का नाम नहीं
121 मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस में धार्मिक समागम के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. आयोजकों पर सबूत छिपाने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. इस आयोजन में 2.5 लाख लोग इकट्ठा हुए थे, जबकि केवल 80 हजार लोगों को ही अनुमति दी गई थी.
समागम या 'सत्संग' संचालक जगत गुरु साकार विश्वहरि उर्फ भोले बाबा का नाम एफआईआर में नहीं है, हालांकि उनका नाम शिकायत में है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि आयोजकों ने अनुमति मांगते समय 'सत्संग' में आने वाले भक्तों की वास्तविक संख्या छिपाई, यातायात प्रबंधन में सहयोग नहीं किया और भगदड़ के बाद सबूत छिपाए. भगदड़ तब शुरू हुई जब वहां जमा हुए लोग बाबा के वाहन के गुजरने के रास्ते से रज इकट्ठा करने के लिए रुके थे. भक्तों की भारी भीड़ के कारण जो लोग बाबा की चरण रज उठाने के लिए लेट गए थे, वे कुचल गए.