
22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. इसमें बहुत सारे वीवीआईपी बुलाए गए थे. सहारनपुर में जमीयत हिमायतुल इस्लाम के अध्यक्ष एवं मुस्लिम स्कॉलर कारी अबरार जमाल को भी न्योता मिला था. इस पर उन्होंने ट्रस्ट का शुक्रिया अदा किया था और कार्यक्रम में पहुंचे थे. जानिए वहां से लौटने के बाद कारी अबरार जमाल ने ट्रस्ट और हिंदू धर्म को लेकर क्या कहा...
कारी अबरार जमाल कहते हैं, बहुत खुशी की बात है. राम मंदिर ट्रस्ट के लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं. उन्होंने मुझे इस काबिल समझा और निमंत्रण भेजा. वहां बुलाकर हमें इज्जत बख्शी. बहुत सारा सामान (प्रसाद) दिया. यह सम्मान हमारे लिए ऐतिहासिक था. जहां एक तरफ लोग कहते हैं कि जब बहुत सारे हिंदू इकट्ठे हो जाते हैं तो मुसलमान से जय श्रीराम बुलवाते हैं लेकिन वहां इससे बिल्कुल उल्टा देखने को मिला.
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'हमें वहां बिल्कुल भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि हम दूसरी जगह आ गए हैं. वहां लोगों ने हमारा सम्मान किया. प्रवेश करने से पहले हमारे जूते निकाले. एक तरह से हमारी आरती उतारी गई. यह बात इतिहास में लिखी जाएगी. सालों बाद जब हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा खत्म हुआ और प्राण प्रतिष्ठा का वक्त आया तो वो सनातनियों ने अकेले नहीं किया'.
'वहां मुझे बड़ा हिंदुस्तान देखने को मिला'
जमाल आगे कहते हैं, वहां गंगा-जमुनी तहजीब की एक मिसाल कायम की गई. कारी अबरार जमाल को बुलाया और उसका सम्मान किया गया. मौलाना उमर आलियासी को बुलाया गया. यह हिंदुस्तान की बेहतरीन मिसाल है. वहां मुझे बड़ा हिंदुस्तान देखने को मिला. तमाम साधु-संत भी थे, दूसरी तरफ मैं भी शामिल था'.
'मुसलमान के लिए हानिकारक हो सकता है'
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, मैं फतवा से इसलिए नहीं डरता क्योंकि पढ़ा-लिखा हूं. हम अपने दीन को मानते हैं. साथ ही दूसरे के मजहब की इज्जत करते हैं. कुरान कहती है कि हर कौम में एक पैगंबर को भेजा है. हो सकता है राम भी अपने वक्त के पैगंबर रहे हों. राम को बुरा कहना या राम की इज्जत न करना, मुसलमान के लिए हानिकारक हो सकता है.
'इंशाअल्लाह वहां जल्द निर्माण शुरू होगा'
उन्होंने कहा, जाहिर है कि जहां मस्जिद के लिए जमीन तय हुई है, इंशाअल्लाह वहां भी जल्द निर्माण शुरू हो जाएगा. एक तरफ मंदिर बन रहा है, दूसरी तरफ एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद भी बनकर तैयार होगी. यह एक बड़ी पहल है.