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रामचरितमानस विवाद से अब किनारा कर रहे अखिलेश? सपा कार्यालय के बाहर से हटवाए पोस्टर

रामचरितमानस विवाद से अब सपा किनारा करती नजर आ रही है. मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने पदाधिकारियों और प्रमुख नेताओं को पत्र भेजकर धार्मिक मामलों पर बोलने से बचने की सलाह दी थी. अब सपा कार्यालय के बाहर इस विवाद को लेकर लगाए गए सभी पोस्टर्स भी हटवा दिए गए हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी की ओर से ये कदम उठाया गया है.

अखिलेश यादव (फाइल फोटोः पीटीआई) अखिलेश यादव (फाइल फोटोः पीटीआई)
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 19 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

उत्तर प्रदेश की सियासत पिछले कुछ दिनों से रामचरितमानस, शुद्र जैसे मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही थी. समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यालय के बाहर कभी गर्व से कहो हम शुद्र हैं लिखे पोस्टर नजर आ रहे थे तो कभी कुछ और. रामचरितमानस विवाद के बीच सपा अब इन सभी विवादों से किनारा करती नजर आ रही है.

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से सभी जिलों के जिलाध्यक्ष और सांसद, विधायकों को पत्र भेजकर धार्मिक मामलों पर बोलने से बचने की नसीहत दी थी. अब सपा कार्यालय पर भी इस आदेश को अमली जामा पहनाने की दिशा में पार्टी ने कदम बढ़ा दिए हैं. सपा कार्यालय के बाहर से रामचरितमानस और शुद्र को लेकर लगे सभी पोस्टर हटा लिए गए हैं.

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सपा के लखनऊ स्थित कार्यालय के बाहर रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद लगातार पोस्टर लग रहे थे. सपा कार्यालय के बाहर लगते पोस्टर्स और बैनर पर रामचरितमानस, शुद्र को लेकर टिप्पणी रहती थी. अब सपा के प्रदेश कार्यालय के बाहर लगे इस तरह के सभी पोस्टर्स को हटवा दिया गया है.

जानकारी के मुताबिक सपा कार्यालय के बाहर से पोस्टर्स हटाए जाने का कदम राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर उठाया गया है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने रामचरितमानस विवाद के बीच रणनीति में बदलाव ऐसे समय में किया है, जब यूपी विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने को है.

स्वामी के साथ खड़े नजर आए थे अखिलेश

गौरतलब है कि अखिलेश यादव रामचरितमानस विवाद के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ खड़े नजर आए हैं. अखिलेश यादव इस पूरे मामले पर बोलने से बचते भी नजर आए और स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन भी किया. अखिलेश यादव ने विवाद के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य को कार्यालय में मिलने के लिए बुलाया था. अटकलें लगाई जाने लगीं कि अखिलेश यादव रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद के बयान से नाराज हैं और उन्हें तलब किया है.

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बैठक के बाद स्वामी प्रसाद जब बाहर निकले, तब ये जानकारी दी कि अखिलेश यादव ने उनसे जातिगत जनगणना को लेकर आंदोलन खड़ा करने के लिए कहा है. इसके बाद अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव के रूप में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दे दी थी. हालांकि, सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव ने सपा को अलग-अलग विचारों के लोगों की पार्टी बताते हुए कहा था कि सपा की विचारधारा समाजवाद है.

शिवपाल ने कर लिया था विवाद से किनारा

शिवपाल यादव ने भी रामचरितमानस को लेकर विवाद से किनारा करते हुए साफ कहा था कि ये स्वामी प्रसाद की निजी टिप्पणी है. उन्होंने ये भी कहा था कि हम राम और कृष्ण को मानने वाले लोग हैं. गौरतलब है कि राजेंद्र चौधरी की ओर से प्रमुख नेताओं और पदाधिकारियों को भेजे गए पत्र में धार्मिक मामले को संवेदनशील बताते हुए इन पर टिप्पणी करने से बचने और पार्टी लाइन से अलग न जाने की चेतावनी दी थी. उन्होंने ये भी साफ किया था कि पार्टी की विचारधारा समाजवाद है.

 

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