
संभल मस्जिद मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अदालत में अपना जवाब दाखिल कर दिया है. इसमें मुगलकालीन मस्जिद का नियंत्रण और प्रबंधन मांगा गया है. ASI ने अदालत से कहा है कि यह एक संरक्षित विरासत संरचना है. बता दें कि इससे पहले अदालत शाही जामा मस्जिद के सर्वे की अनुमति दे चुकी है.
ASI का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील विष्णु शर्मा ने कहा,'एजेंसी ने शुक्रवार को अदालत में अपना प्रतिवाद प्रस्तुत किया. इसमें कहा गया कि सर्वे के दौरान टीम को मस्जिद प्रबंधन समिति और स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा.'
6 साल पहले दर्ज हो चुकी है FIR
ASI ने 19 जनवरी 2018 की एक घटना का भी जिक्र किया है. उस समय मस्जिद प्रबंधन समिति के खिलाफ अनुमति के बिना मस्जिद की सीढ़ियों पर स्टील की रेलिंग लगाने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी.
'ASI नियमों का पालन जरूरी'
विष्णु शर्मा ने कहा,'1920 में ASI ने इस स्मारक को संरक्षित अधिसूचित किया था, तब से ही मस्जिद एजेंसी के अधिकार क्षेत्र में है. इस प्रकार, संरचना तक जनता की पहुंच की अनुमति दी जानी चाहिए. लेकिन ASI नियमों का पालन भी जरूरी है.'
बदलाव करने पर जताई चिंता
ASI का तर्क है कि स्मारक का नियंत्रण और प्रबंधन उनके पास ही रहना चाहिए. इसमें कोई भी संरचनात्मक संशोधन भी शामिल है. संस्था ने प्रबंधन समिति के मस्जिद की संरचना में अनधिकृत बदलाव करने पर भी चिंता जाहिर की है. ASI ने कहा है कि उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनों में अदालत इस मामले पर विचार-विमर्श करेगी.
हिंसा में हुई थी 4 लोगों की मौत
बता दें कि संभल में 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी. ये तब हुआ था, जब कोर्ट के आदेश के बाद शाही जामा मस्जिद पर सर्वे किया जा रहा था. इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे. हिंसा की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया था.