
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की शहजादी को एक बच्चे की मौत के जुर्म में 15 फरवरी को दुबई में फांसी दी जा चुकी है. फांसी के बाद 6 मार्च को दुबई में ही उसे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया. हालांकि, इस दौरान शहजादी के परिजन दुबई नही पहुंच पाए. अब शहजादी के बुजुर्ग माता-पिता बेटी की कब्र पर फातिहा पढ़ना चाहते हैं. मगर कुछ समस्याओं की वजह से उन्हें दुबई जाने में परेशानी हो रही है, जिसके लिए उन्होंने सरकार से मदद करने की गुहार लगाई है.
पिता शब्बीर का कहना है कि हम उसको बचा तो नहीं पाए, आखिरी बार देख भी नहीं पाए, कम से अब उसकी उसकी कब्र को ही देख लें. वहां जाकर फातिहा पढ़ लें. सरकार से मांग है कि शहजादी का सामान/आखिरी निशानी आदि वापस दिलवाए.
शब्बीर खान कहते हैं कि शहजादी की मौत के बाद घर में मातम पसरा हुआ है. शहजादी की मां का रो-रो कर बुरा हाल है. मैंने उसे दुबई ले जाने का वादा किया है, ताकि वो बेटी की कब्र देख सके. फिलहाल, पासपोर्ट बनवाने की कोशिश कर रहा हूं. पैसों की दिक्कत है. कहीं से मदद हो जाएगी तो चले जाएंगे.
बकौल शब्बीर- मैं सरकार से मांग करता हूं कि वह अपनी जिम्मेदारी में शहजादी का सामान दिला दे. उसका पासपोर्ट, मोबाइल सहित अन्य सामान वहां रखा हुआ है. हम लोग जाएंगे तो फातिहा पढ़ लेंगे और उसका सामान लेकर वापस आ जाएंगे. हालांकि, अभी कोई सुनवाई नहीं हो रही.
इससे पहले शब्बीर ने उन अफवाहों पर नाराजगी जाहिर की थी जिसमें कहा जा रहा था कि दुबई में शहजादी को पोल से बांधकर गोली मारी गई. उन्होंने साफ किया था कि सोशल मीडिया में प्रचलित गोली मारने जैसी बात कोरी अफवाह है. उनकी बेटी को फांसी दी गई है और उसका कब्रिस्तान में दफनीना हुआ है. दुबई में रहने वाली एक रिश्तेदार दफनीना के समय मौजूद थी, उसका भी यही कहना है.