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'मुंशी प्रेमचंद और फिराक गोरखपुरी भी कठमुल्ले थे क्या?', उर्दू को लेकर सपा नेता का CM योगी पर पलटवार

सदन की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने विरोध किया. इस पर सदन के नेता और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने तंज करते हुए कहा कि समाजवादियों का दोहरा चरित्र है, क्योंकि ये लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाते हैं और दूसरों के बच्चों को उर्दू पढ़ाकर मौलवी बनाना चाहते हैं. 

CM योगी और माता प्रसाद पांडे. (फाइल फोटो) CM योगी और माता प्रसाद पांडे. (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ ,
  • 19 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को विधायक श्रीकांत शर्मा ने ब्रज, मनोज पांडेय ने अवधी और केतकी सिंह ने भोजपुरी में अपना संबोधन किया. साथ ही विधानसभा अध्यक्ष का आभार जताया. वहीं, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने मुख्यमंत्री योगी के बयान पर पलटवार कर उर्दू और संस्कृति को शामिल करने की फिर से मांग की. 

माता प्रसाद पांडे ने कहा, ''अंग्रेजी हमारी भाषा नहीं है और न ही हमारी मातृभाषा है. और न ही संस्कृत भाषा है और न ही स्थानीय बोली. मैंने कल भी इस बात का एतराज किया था. जिस संदर्भ में मैंने कहा था कि इसमें संस्कृत को भी जोड़ दीजिए और उर्दू को भी जोड़ दीजिए. मुख्यमंत्री योगी ने संस्कृत नहीं सुना और उर्दू पर गंभीर आरोप लगाने लगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि उर्दू कठमुल्ला पैदा करती है. मैं इस शब्द पर आपत्ति करता हूं और पूछना चाहता हूं कि बड़े उर्दू शायर फिराक गोरखपुरी भी कठमुल्ला थे क्या? या उर्दू का ज्ञान रखने वाले प्रख्यात उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद भी कठमुल्ला थे? या विश्वविद्यालय में जो उर्दू विभाग खोला गया है, वहां पढ़ने वाले भी कठमुल्ले हैं क्या?'' 

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माता प्रसाद पांडे ने बोले- ''जिन्हें अंग्रेजी पढ़नी है, उनसे हमें ऐतराज नहीं है. अंग्रेजी का ज्ञान प्राप्त करना गलत नहीं है. लेकिन अंग्रेजी के माध्यम से इस विधानसभा में नई प्रक्रिया शुरू करना है. मैं इसका विरोध करता हूं. मुख्यमंत्री योगी उर्दू से चिढ़ जाते हैं, नाराज हो जाते हैं. इनका अपना एजेंडा है.'' 

सपा के बागी विधायक राकेश सिंह की ओर से इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में इस मामले को गंभीर बताते हुए ऐसे विधायकों को चिन्हित करने की मांग की और सदन के अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की. विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि वह इस मुद्दे को देखेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे. 

विधानसभा में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किए जाने के बाद यानी पांच भाषाओं में अब विधानसभा के सदस्य अपनी बातें रख सकते हैं. आज पहली बार ब्रजभाषा में विधायक श्रीकांत शर्मा ने अपना भाषण दिया. श्रीकांत शर्मा ने सदन में ब्रज में अपनी बात रखी तो सदन तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठा.

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यह भी पढ़ें: 'उर्दू नहीं अंग्रेजी, दूसरे के बच्चों को मौलवी बनाना चाहते हो...', विधानसभा में सपा पर क्यों भड़के CM योगी

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही में अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने विरोध किया. इस पर सदन के नेता और उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने तंज करते हुए कहा कि समाजवादियों का दोहरा चरित्र है, क्योंकि ये लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाते हैं और दूसरों के बच्चों को उर्दू पढ़ाकर मौलवी बनाना चाहते हैं. 

दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि यानी अब विधानसभा की कार्यवाही हिंदी के साथ ही अंग्रेजी, भोजपुरी, ब्रज, बुंदेलखंडी और अंग्रेजी में भी सुनी जा सकेगी.

इस पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आपत्ति जताते हुए कहा ”इस विधानसभा में अंग्रेजी का प्रयोग करना न्यायोचित नहीं है.” उन्होंने आरोप लगाया कि अंग्रेजी को आगे करके हिंदी को कमजोर किया जा रहा है.

पांडेय ने यह सुझाव भी दिया ”आप अगर विधानसभा में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तो उर्दू भी कर दीजिए.”

पांडेय के इस वक्‍तव्‍य पर तंज कसते हुए नेता सदन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा ”समाजवादियों का दोहरा आचरण है. वे अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में भेजेंगे और यहां अंग्रेजी का विरोध करेंगे. इस प्रकार के विरोध की निंदा होनी चाहिए.”

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योगी ने यह भी आरोप लगाया कि ”ये लोग उर्दू पढ़ाकर (दूसरे के बच्चों को) मौलवी बनाना चाहते हैं, देश को कठमुल्लापन की तरफ ले जाना चाहते हैं, यह कतई स्वीकार नहीं होगा.”

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