
उत्तर प्रदेश की सबसे हाईटेक जेल बांदा मंडल कारागार एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है. यह जेल कभी प्रदेश के सबसे कुख्यात माफियाओं का ठिकाना रही है और अब यहां समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और कन्नौज के पूर्व ब्लॉक प्रमुख नवाब सिंह यादव को कड़ी सुरक्षा के बीच शिफ्ट किया गया है.
नवाब सिंह यादव पर गंभीर आरोप
दरअसल, नवाब सिंह यादव पर एक नाबालिग से दुष्कर्म का आरोप है, जिसके चलते उन पर पॉक्सो एक्ट सहित अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था. इसके अलावा उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है. पुलिस ने नवाब सिंह यादव और उनके भाई नीलू यादव को कन्नौज जेल में बंद किया था. हाल ही में दोनों भाइयों पर जेल के नियमों का उल्लंघन करने और अन्य कैदियों की नाम की पर्ची पर अवैध रूप से मुलाकात कराने के आरोप लगे थे. इस मामले की जांच के बाद सुरक्षा कारणों से दोनों भाइयों को अलग-अलग जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया.
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बांदा जेल में शिफ्टिंग की प्रक्रिया
शनिवार सुबह कन्नौज पुलिस नवाब सिंह यादव को लेकर निकली और उन्हें बांदा मंडल कारागार में शिफ्ट कर दिया गया. वहीं, उनके भाई नीलू यादव को कौशांबी जेल भेज दिया गया. जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम ने बताया कि नवाब सिंह यादव को फिलहाल आइसोलेशन बैरक में रखा गया है. बांदा जेल में उन्हें पूरी तरह से जेल मैनुअल के अनुसार सुविधाएं दी जाएंगी और किसी भी तरह की अनाधिकृत मुलाकात की अनुमति नहीं होगी.
बांदा जेल यूपी की सबसे हाईटेक जेल
बांदा मंडल कारागार उत्तर प्रदेश की सबसे सुरक्षित और हाईटेक जेलों में से एक मानी जाती है. 78 सीसीटीवी कैमरों से लैस यह जेल चौबीसों घंटे निगरानी में रहती है. स्कैनर, मेटल डिटेक्टर, डीप सर्च मेटल डिटेक्टर जैसी अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था लागू है. सुरक्षा बलों में डेढ़ सौ जेल पुलिस, सिविल पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहते हैं. जेल परिसर में बॉडी कैमरे से लैस सुरक्षा कर्मी हमेशा तैनात रहते हैं. वहीं, नवाब सिंह की बैरक के बाहर एक रजिस्टर रखा गया है, जिसमें उनसे मिलने वालों की पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी.
सपा से नाता, लेकिन राजनीतिक दूरी
एक समय में नवाब सिंह यादव की राजनीति में मजबूत पकड़ मानी जाती थी. वह समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक थे और उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता था. हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच अनबन हो गई, जिसके बाद से वे राजनीतिक रूप से दूर हो गए. बावजूद इसके, नवाब सिंह समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे.