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यूपी की रणनीति, विपक्षी एकता की कवायद और सपा का विस्तार... 5 प्वाइंट में समझें अखिलेश का कोलकाता प्लान

समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कोलकाता में होने जा रही है. तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में मिशन-2024, विपक्षी एकता के लिए गठबंधन और भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ पार्टी की दशा-दिशा तय होगी. सपा कोलकाता में 2024 के अपने प्लान को अमलीजामा पहनाने का काम करेगी.

रामगोपाल यादव के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव रामगोपाल यादव के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 17 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. 2024 से पहले सपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में शुक्रवार से शुरू हो रही है. इस बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव 2024 की चुनावी तैयारी को लेकर रणनीति पर चर्चा करेंगे. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से अखिलेश यादव उनके आवास पर जाकर मुलाकात करेंगे. इस मीटिंग पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं कि इस बैठक में क्या विपक्षी एकजुटता का भी कोई रास्ता निकलेगा?

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1. कोलकाता में एजेंडा सेट करेगी सपा
अखिलेश यादव के सपा के तीसरी बार अध्यक्ष चुने जाने के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है. कोलकाता में 17, 18 और 19 मार्च तक चलने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सपा मिशन-2024 के तहत लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी. साथ ही पार्टी की रीति-नीति में बदलाव पर भी चर्चा की संभावना है. तीन दिनों चलने वाली सपा की इस बैठक में राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक प्रस्ताव पेश किए जाएंगे. जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर सपा देशव्यापी अभियान चलाने को लेकर मंथन करेगी. 

जाति जनगणना के मुद्दे को पार्टी देशभर में जनता के बीच ले जाने का फैसला करेगी, ताकि जाति के बिसात पर बीजेपी को घेरा जा सके. इसके अलावा, जनता से जुड़े तमाम अन्य मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में माहौल बनाने के लिए चर्चा करेगी. विपक्षी नेताओं पर पड़ रहे सीबीआई, ईडी सहित अन्य जांच एजेंसियों के छापे व कार्रवाई की गूंज राजनीतिक प्रस्ताव में भी सुनाई देगी. हाल ही नौ विपक्षी दलों ने छापेमारी के खिलाफ संयुक्त चिट्ठी जारी की थी, जिसमें अखिलेश यादव भी शामिल थे. साथ ही प्रदेश और देश की सरकार पर जातीय व धार्मिक भेदभाव, एनकाउंटर के नाम पर उत्पीड़न जैसे मुद्दे भी मुखर रहेंगे. 

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2. 2024 में यूपी में किन दलों से गठबंधन?
कोलकाता की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा विपक्षी दलों के साथ गठबंधन की चर्चा करेगी. कांग्रेस पार्टी के साथ सपा की आगामी रणनीति क्या होगी, सपा यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी या फिर नहीं? इस पर भी सपा का एजेंडा साफ होगा और यूपी में अखिलेश यादव किन-किन दलों के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेगी, इस पर भी मंथन किया जाएगा. 

सपा का उत्तर प्रदेश में फिलहाल जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी और पल्लवी पटेल की अपना दल (कमेरावादी) पार्टी के साथ गठबंधन है. जयंत चौधरी कांग्रेस को भी गठबंधन में लेने की पैरवी कर रहे हैं. ऐसे में सभी की निगाहें सपा की बैठक पर है. सपा के साथ और किन दलों के गठबंधन के रूप में जोड़ा जा सकता है, इस पर भी चर्चा की जाएगी. अखिलेश विपक्षी नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं. गुरुवार को उन्होंने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की थी और उससे पहले गुजरात में शंकर सिंह वघेला से मिले थे. 

3. ममता के साथ दोस्ती के मायने
कोलकाता में सपा की छठी बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी हो रही है. ऐसे में कोलकाता में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अखिलेश यादव मुलाकात करेंगे. इस दौरान टीएमसी-सपा की दोस्ती मजबूत बनाने बनाए रखने की कोशिश है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सपा ने टीएमसी को समर्थन किया था तो ममता भी 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव में सपा के लिए प्रचार करने यूपी आई थीं. ऐसे में अब जब अखिलेश और ममता बनर्जी की मुलाकात होगी तो 2024 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता पर बातचीत और रणनीति पर विचार-विमर्श होगा.

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ममता बनर्जी और अखिलेश यादव

ममता बनर्जी विपक्षी खेमे की बड़ी नेता हैं और 2024 में गैर-कांग्रेसी विपक्षी एकजुटता की पैरवी करती रही हैं. अखिलेश भी कांग्रेस के साथ दूरी बनाए हुए हैं. ममता से अखिलेश, केसीआर और अरविंद केजरीवाल तक 2024 के चुनाव में विपक्षी एकजुटता बनाना चाहते हैं, लेकिन उसमें कांग्रेस को जगह नहीं देना चाहते हैं. वहीं, कांग्रेस भी ममता बनर्जी से लेकर केसीआर और केजरीवाल को बीजेपी की बी-टीम बता रही है. कांग्रेस यूपी में सपा गठबंधन में खुद को रखना चाहती है, जिसके चलते ही पार्टी ने जब भी विपक्षी नेताओं को न्योता दिया है, उसमें सपा को जरूर शामिल रखा है. अखिलेश खुद ही कांग्रेस के साथ मंच साझा करने से बचते रहे हैं. ऐसे में देखना है कि सपा किस तरह से गठबंधन करने पर फैसला करती है.

4. सपा की नई सोशल इंजीनियरिंग
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद पहली बार हो रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी में डॉ. राममनोहर लोहिया, भीमराव अंबेडकर, चौधरी चरण सिंह और मुलायम सिंह यादव के सिद्धांतों के जरिए सपा आगे बढ़ेगी. इस बहाने अखिलेश यादव सपा की नई सोशल इंजीनियरिंग को अमलीजामा पहनाने की कवायद करेंगे. सपा ने अपने कोर वोट बैंक यादव-मुस्लिम समीकरण के साथ-साथ बसपा से आए अंबेडकरवादी नेताओं को भी खास तवज्जो देकर राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश की है. इस फॉर्मूले को सपा आगे बढ़ाने और उसके लिए फोकस ग्रुप को तैयार करने के साथ-साथ उसे अमलीजामा पहनाने के लिए अभियान चलाने की रणनीति बनाएगी. ऐसे में सपा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मंथन कर 2024 के चुनाव में उसी पर अपना एजेंडा सेट करने की कवायद में है.

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5. सपा के विस्तार का प्लान
सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में करीब 100 डेलिगेट शामिल होंगे. इनमें 68 कार्यकारिणी सदस्य और 20 अलग-अलग राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष हैं. अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा पर चर्चा होगी ही, साथ ही इस साल होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए भी रणनीति बनेगी. अखिलेश यादव सपा को यूपी से बाहर दूसरे राज्यों में विस्तार करने की कवायद में हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ने की सपा तैयारी कर रही है. सपा पिछली बार मध्य प्रदेश में अपना एक विधायक जिताने में कामयाब रही थी. गुजरात में भी सपा का इस साल खाता खुला है. सपा की नजर उत्तराखंड पर भी है. इन राज्यों में पार्टी को मजबूती से खड़ी करने के लिए सपा चर्चा कर सकती है.

 

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