
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य रविवार को सामाजिक न्याय सम्मेलन में शामिल होने के लिए मऊ पहुंचे. यहां मंच से उन्होंने भाजपा नेताओं पर हमला बोला और कहा- घी चपोड़ी पूड़ी खाते-खाते शरीर में इतनी चर्बी है कि उनका पेट मोटा हो गया है और उनकी हड्डी दिखाई नहीं देती. जबकि मैं 6 बार कैबिनेट मंत्री का शपथ ले चुका हूं. अभी.. मेरी पसली की सारी हड्डियां आप गिन लोगे.
स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा- हम लोगों की तो हड्डी और पसली दिखाई देती है और गिन ली जाती है. आपके तो मोटे-मोटे तोंद हैं. घी चपोड़ी पूड़ी खाते-खाते पूरी शरीर में इतनी चर्बी है कि हड्डी दिखाई नहीं पड़ती. मैं 6 बार कैबिनेट मंत्री का शपथ ले चुका हूं. तीन बार कैबिनेट मंत्री का भी दर्जा था. आप पूरे शरीर की सारी हड्डियां गिन लोगे. स्वामी प्रसाद मौर्या की हर पसली आप लोग गिन लोगे, इसलिए कि हम जहां भी रहते हैं- मेहनत में विश्वास करते हैं. हम मुफ्त की रोटी नहीं खाते हैं. हम गैर को भी खिलाते हैं और खुद भी खाते हैं. हम ऐसे घर में पैदा हुए हैं.
हत्यारों के प्रति हमदर्दी नहीं है: स्वामी प्रसाद
राष्ट्रीय बहुजन समाजवादी मंच के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद ने हत्यारोपियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई का स्वागत किया. उन्होंने कहा- उमेश पाल की हत्या में जिसका भी इंवॉल्वमेंट है, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. हत्यारों के प्रति किसी की हमदर्दी नहीं है. अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कहा कि उमेश पाल की हत्या में जिनका भी इंवॉल्वमेंट है, उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. वहीं बुलडोजर की कार्रवाई के सवाल स्वामी प्रसाद बोले कि इस बात को पुलिस स्पष्ट करेगी कि हत्यारे कौन हैं. हत्यारों के खिलाफ बुलडोजर चल रहा है तो हम उसका स्वागत करते हैं.
रामचरितमानस पर बयान देकर विवादों में घिरे थे स्वामी
गौरतलब है कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस को लेकर अपने बयान की वजह से विवादों में चल रहे हैं. उन्होंने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है. यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश है, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. ये भी कहा कि ब्राह्मण भले ही लंपट, दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन वह ब्राह्मण है तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान या फिर ज्ञाता हो, उसका सम्मान मत करिए. क्या यही धर्म है?