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निलंबित IAS अभिषेक प्रकाश की बढ़ीं मुश्किलें! डिफेंस कॉरिडोर भूमि घोटाले में फंसे, करोड़ों की गड़बड़ी का मामला

UP News: निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश पर डिफेंस कॉरिडोर भूमि अधिग्रहण घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगे हैं. इस घोटाले की जांच में उन्हें समेत 18 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अफसरों की मिलीभगत से किसानों की जमीन सस्ते में खरीदकर महंगे दामों पर बेची गई.

सस्पेंड हो चुके IAS अभिषक प्रकाश. (File) सस्पेंड हो चुके IAS अभिषक प्रकाश. (File)
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 21 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

डिफेंस कॉरिडोर भूमि अधिग्रहण घोटाले (Defence Corridor Scam) में निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. अभिषेक प्रकाश डिफेंस कॉरिडोर भूमि अधिग्रहण घोटाले में फंस सकते हैं. इस घोटाले की जांच में लखनऊ के तत्कालीन डीएम सहित 18 अधिकारियों को आरोपित बनाया गया है. राजस्व परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपी थी.

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जांच में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश सहित एडीएम, एसडीएम व तहसीलदार सहित कई अफसर दोषी पाए गए थे. इस जांच रिपोर्ट को लेकर कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्ज शीट किया गया है, जबकि बाकी पर कार्रवाई लंबित है.

जानकारी के मुताबिक, डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील में भटगांव ग्राम पंचायत का चयन किया गया था. ब्रम्होस मिसाइल के अलावा रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई कंपनियां अपने लिए भूमि तलाश रही थीं. इससे भटगांव में भूमि की दरें आसमान छूने लगीं थीं. भूमि की बढ़ती कीमतों को देखते हुए भू-माफिया सक्रिय हो गए और तहसील अफसरों की मिलीभगत से कॉरिडोर के लिए जिस जगह भूमि का अधिग्रहण होना था. वहां किसानों से सस्ती दर में भूमि खरीद ली.

यह भी पढ़ें: कौन हैं IAS अभिषेक प्रकाश, जिन्हें योगी सरकार ने किया सस्पेंड? इस केस में हुआ एक्शन, पढ़िए पूरी डिटेल

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अधिग्रहण की प्रक्रिया में फर्जी तरीके से दस्तावेजों में हेरफेर कर आवंटियों के नाम जोड़े गए. खरीद-फरोख्त में नियमों की अनदेखी की गई. पट्टे की असंक्रमणीय श्रेणी की भूमि को नियमानुसार बेचा नहीं जा सकता था, उसको पहले संक्रमणीय कराया गया और फिर बेचा गया. जिन लोगों का जमीन पर वास्तविक कब्जा नहीं था, उनको मालिक दिखाकर मुआवजा दिलाया गया. मालिकाना हक की जांच के बिना ही अफसरों ने मुआवजा वितरित कर दिया.

जांच रिपोर्ट के अनुसार, भटगांव की करीब 35 हेक्टेयर जमीन के लिए 45.18 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे. इसमें से करीब 20 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पाई गई. जांच में यह भी सामने आया था कि तहसील में तैनात तत्कालीन अफसरों ने अपने रिश्तेदारों और नौकरों तक को जमीन दिलाकर करोड़ों रुपये मुआवजा हड़प लिया था.

इस मामले में तत्कालीन डीएम और एडीएम स्तर के अधिकारियों की भूमिका सामने आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष रजनीश दुबे से इसकी जांच कराई थी. जांच में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश सहित एडीएम, एसडीएम व तहसीलदार सहित कई अफसर दोषी पाए गए थे. इस जांच रिपोर्ट को लेकर कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्ज शीट किया गया है, जबकि बाकियों पर अभी कार्रवाई लंबित है.

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