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प्रयागराज में अभ्यर्थियों की मांग का समर्थन केशव मौर्य के लिए जरूरी भी और मजबूरी भी, जानें कैसे?

बुधवार से लेकर गुरुवार तड़के तक कई समाजवादी पार्टी के छात्र नेताओं को पुलिस ने आंदोलन करने और छात्रों को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. गुरुवार सुबह से ही प्रयागराज के लोक सेवा आयोग दफ्तर के बाहर बैरिकेडिंग की गई है ताकि अभ्यार्थियों और आंदोलनकारी छात्रों नेताओं को यहां पहुंचने से रोका जा सके.

यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 14 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

अखिलेश राज में यूपी संघ लोक सेवा आयोग के अभ्यर्थियों के लिए कभी गंभीर धाराओं में मुकदमा झेल चुके केशव मौर्य क्या अब यूपीपीसीएस अभ्यर्थियों की मांग और सरकार के फैसले के बीच संतुलन बना रहे हैं? दरअसल,आज जैसे सपा के नेताओं पर सरकार सख़्त है, वैसे ही 2014 में केशव मौर्य को भी अखिलेश सरकार ढूंढ़ रही थी. तब उन पर भी छात्रों को उकसाने के आरोप में गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था.

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केशव मौर्य लगातार सोशल मीडिया पर छात्रों के समर्थन में लिख रहे हैं और अखिलेश यादव को निशाने पर ले रहे हैं. समाजवादी पार्टी के कई नेताओं को यूपीपीसीएस के अभ्यर्थियों के समर्थन करने और उनके धरना प्रदर्शन को लीड करने की वजह से गिरफ़्तार करके जेल भेजा चुका है, साथ ही योगी सरकार का प्रशासन हर हाल में अभ्यर्थियों के इस आदोलन में समाजवादी पार्टी और दूसरे विपक्ष के नेताओं को घुसने से रोकने पर आमादा है. 

बुधवार से लेकर गुरुवार तड़के तक कई समाजवादी पार्टी के छात्र नेताओं को पुलिस ने आंदोलन करने और छात्रों को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. गुरुवार सुबह से ही प्रयागराज के लोक सेवा आयोग दफ्तर के बाहर बैरिकेडिंग की गई है ताकि अभ्यार्थियों और आंदोलनकारी छात्रों नेताओं को यहां पहुंचने से रोका जा सके लेकिन सरकार की सख़्ती के साथ ही यह आंदोलन और उग्र होता जा रहा है.

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केशव प्रसाद ने ट्वीट कर अखिलेश पर साधा निशाना

केशव मौर्य ने आज सुबह एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, 'उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. हमारी प्राथमिकता है कि सभी प्रतियोगी परीक्षाएं पारदर्शी और निष्पक्ष हों, मानकीकरण की समस्या का भी समाधान हो, जिससे हर योग्य उम्मीदवार को उसका हक मिले. दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने कार्यकाल के काले कारनामे भूलकर राजनीतिक लाभ के लिए छात्रों की भावनाओं का राजनीतिकरण कर रहे हैं.

पोस्ट में केशव प्रसाद ने आगे कहा,  “सूप बोले तो बोले, चलनी भी बोले जिसमें बहत्तर छेद हैं” – आंदोलन की आड़ में माहौल बिगाड़ने की इनकी कोशिशों को समझदार प्रतियोगी छात्र भली-भांति समझते हैं. इस रुख के साथ सपा का “समाप्तवादी पार्टी” बनना तय है. योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार छात्रों की समस्याओं का समाधान निकालने के लिए संवाद के माध्यम से हर संभव प्रयास कर रही है. हम युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के प्रति दृढ़ हैं, और सक्षम अधिकारी छात्रों के साथ समन्वय स्थापित कर समाधान सुनिश्चित करेंगे. युवा प्रदेश का भविष्य हैं, और भाजपा उनकी हर आकांक्षा के साथ मजबूती से खड़ी है."

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कभी केशव मौर्य के खिलाफ दर्ज हुआ था गंभीर धाराओं में केस

कभी इसी प्रयागराज में केशव मौर्य ने भी अभ्यर्थियों के समर्थन में अखिलेश सरकार के नाक में दम कर दिया था. दरअसल केशव मौर्य को अपने आंदोलन के दिन भी इस वक्त याद आ रहे हैं जब 2014 की जनवरी में उन्होंने तब यहीं पर संघ लोक सेवा आयोग के दफ्तर के बाहर अभ्यर्थियों के आंदोलन में पहुंच गए थे तब वह सिराथू से विधायक थे और अभ्यर्थियों के आंदोलन को समर्थन देते हुए अखिलेश सरकार को इनकी मांगे ना मानने की सूरत में सरकार की ईंट से ईट बजा देने की चुनौती दी थी.

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तब केशव मौर्य पर कर्नलगंज थाने में जो FIR दर्ज की गई थी उसमें संघ लोक सेवा आयोग के दफ्तर को जलाने की धमकी देने, पुलिस वालों पर पथराव करने, पुलिस और आम लोगों की गाड़ियों के शीशे तोड़ने और आगजनी करने जैसे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.

पुलिस ने जितनी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था उतनी ही शिद्दत से अखिलेश की सरकार उन्हें ढूंढ भी रही थी, हालांकि केशव मौर्य कभी पुलिस के हाथ नहीं आए और बाद में इस राजनीतिक मामले को खत्म भी कर दिया गया. अब जबकि प्रयागराज में ही छात्र आंदोलनरत हैं ऐसे में केशव मौर्य इन छात्रों की आवाज़ के समर्थन में खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं और सरकार के स्तर पर जल्द समाधान की बात कर रहे हैं.

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दरअसल प्रयागराज केशव मौर्य की जन्मभूमि और सियासी कर्मभूमि दोनों है. ऐसे में केशव मौर्य, प्रयागराज में हो रही किसी सियासी हलचल से खुद को अछूता भी नहीं रख सकते, ऐसे में उनके लिए सरकार और इन अभ्यर्थियों के बीच संतुलन बनाना मजबूरी भी है और फिलहाल वह ऐसा करते दिखाई दे रहे हैं

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