
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने सरकार के ढीले रवैए पर नाराजगी जताई और कहा- हम जानना चाहते हैं कि जांच में अब तक क्या हुआ? मुकदमे किस चरण तक पहुंचे हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से यह भी पूछा कि अतीक के दो नाबालिग बेटों को न्यायिक हिरासत मे क्यों रखा गया है? अगर वो किसी अपराध में शामिल नहीं हैं तो उन्हें रिश्तेदारों को क्यों नहीं सौंपा जा सकता?
बता दें कि माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. घटना 15 अप्रैल की है. पुलिस कस्टडी में जब अतीक और अशरफ को कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल चेकअप के लिए लाया गया था, तभी तीनों शूटर अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी सिंह ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाना शुरू कर दिया. घटना में दोनों भाइयों की मौके पर मौत हो गई थी. तीनों हमलावर पत्रकार बनकर पहले से ही अस्पताल पहुंच गए थे. इस घटना से दो दिन पहले अतीक का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया था.
'जेल में भी हो रही हैं ऐसी घटनाएं'
इस मामले में अतीक का परिवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. बहन आएशा नूरी और वकील विशाल तिवारी ने याचिका में डबल मर्डर की जांच के लिए रिटायर्ड जज के नेतृत्व में कमेटी गठित करने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह सिर्फ हाई प्रोफाइल केस का मामला नहीं है. ऐसी घटनाएं जेल में भी हो रही हैं. वो कौन लोग हैं जो ट्रैक करते हैं? जेल से एक नेक्सस यानी मिलीभगत के जरिए काम किया जा रहा है.
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'मामले को टालने की मांग पर यूपी सरकार को फटकार'
इस पर यूपी सरकार के वकील ने कहा कि अतीक अहमद मामले में SIT चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. मामले में 3 लोगों को आरोपी बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को मामले को टालने की मांग पर फटकार लगाई. यूपी सरकार ने कहा कि हम मामले में याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे.
'लोगों का फिर से भरोसा जीतने की जरूरत'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें बताएं कि इसको लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के दिशा-निर्देश क्या हैं? एक याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी ने कहा कि पुलिस पर भी आरोप लगाए गए हैं. लोगों का विश्वास बहाल करने की भी जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- लोगों का भरोसा कैसे बहाल करेंगे? क्योंकि पुलिस तो वही है, जिनकी निगरानी में जेल में भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
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'जांच में अब तक क्या हुआ, किसी को पता नहीं?'
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एनकाउंटर के केसों की मॉनिटरिंग के लिए मैकेनिज्म क्या है? उन केसों की मॉनिटरिंग कैसे की जाती है? अतीक की बहन आएशा नूरी के वकील ने कहा कि अतीक-अशरफ मामले में जांच आयोग का गठन किया है. उसके बेटे असद के मामले में भी अलग जांच आयोग का गठन किया गया है. उनकी जांच में अब तक क्या हुआ, यह बात किसी को पता नहीं है.
15 अप्रैल को मारे गए हैं अतीक और अशरफ
24 फरवरी को उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उमेश पाल, बीएसपी विधायक राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह था. इस मामले में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ नामजद आरोपियों में शामिल था. अतीक को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और अशरफ को बरेली की जेल से पूछताछ के लिए लाया गया था. कोर्ट ने दोनों की कस्टडी मंजूर की थी. 15 अप्रैल, 2023 को दोनों भाइयों को मेडिकल जांच के लिए प्रयागराज के काल्विन अस्पताल लाया गया था, वहां तीन हमलावरों ने अतीक-अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उससे पहले 13 अप्रैल को झांसी में अतीक का बेटा अशद और एक गुर्गा भी पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था. पुलिस अभी गुड्डू बमबाज और अतीक की पत्नी की तलाश कर रही है.
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