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अपनी आर्मी, आसपास गोपिका यूनिट, ब्लैक कैट महिला कमांडो... पूरे ठाठ से रहता है हाथरस वाला बाबा! Video आया सामने

यूपी पुलिस के पूर्व हेड कॉन्स्टेबल से बाबा बने सूरजपाल उर्फ भोले बाबा ने बाकायदा अपनी आर्मी बना रखी थी. बाबा ने ब्लैक महिला कमांडो की पूरी फौज तैयार कर रखी थी. सूरजपाल उर्फ साकार विश्व हरि का ठाठ कुछ ऐसा है कि उसने अपनी आर्मी में महिला ब्लैक कैट कमांडो रखी है. गोपिका यूनिट बना रखी है, जिसमें सिर्फ महिलाएं शामिल होती हैं. इसका एक Video भी सामने आया है.

सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के पास ब्लैक कैट महिला कमांडो. सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के पास ब्लैक कैट महिला कमांडो.
अरविंद ओझा
  • हाथरस,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

Baba Army News: बाबा सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की आर्मी के चर्चे अब हर जगह हो रहे हैं. बाबा के पास सेवादारों की लंबी-चौड़ी फौज तो है ही, साथ ही बाबा की एक स्पेशल 'महिला ब्लैक कमांडो ब्रिगेड' भी है, जो बाबा की सेवा और सिक्योरिटी मैनेजमेंट में रहती है. इसे गोपिका यूनिट कहा जाता है, जिसमें महिलाएं शामिल होती हैं. इसका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वर्दी में बाबा की महिला कमांडो नजर आ रही हैं.

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सूरजपाल उर्फ भोले बाबा की इस आर्मी की धाक हर प्रोग्राम में कुछ ऐसी चलती थी कि कोई भी शख्स मोबाइल फोन नहीं चला सकता था. ये आर्मी प्रोग्राम में पुलिस को दाखिल नहीं होने देती थी. कल सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी प्रेसवार्ता के दौरान बाबा की आर्मी का जिक्र करते हुए कहा था कि ये लोग प्रशासन को प्रोग्राम में अनुमति नहीं देते थे. खुद ही अपना क्राउड मैनेजमेंट चलाते हैं.

यहां देखें Video

महिला कमांडोज को दिए गए हैं कोड वर्ड

हर सत्संग में ये महिला ब्लैक कमांडोज ब्रिगेड नजर आती है. इन महिला कमांडोज के साथ कुछ और महिलाएं भी सुरक्षा में तैनात की जाती हैं. भीड़ को मैनेज करना, पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था सुचारु रूप से चले,  ये सब काम समिति के सेवादार और महिला कमांडो ब्रिगेड करती है. बाबा 24 घंटे ब्लैक कमांडोज से घिरा रहता है.

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मैनपुरी में स्थित भोले बाबा के आश्रम पर पहुंचकर सिर झुकाती महिला.

ऐसा भी कहा जाता है कि बाबा ने अपने आश्रम में एक गुप्त कमरा भी बना रखा है. बाबा के सिक्योरिटी अधिकारियों को कोर्ड वर्ड दिए गए हैं. बाबा की सुरक्षा में लगे हरेक सुरक्षा दस्ते की अलग-अलग ड्रेस कोड है.

बाबा की सेनाओं के बारे में जान लीजिए

बाबा के दस्तों के नाम नारायणी सेना, गरुड़ योद्धा और हरि वाहक हैं. बताया जाता है कि नारायणी सेना के सुरक्षा गार्ड गुलाबी रंग की पोशाक पहनते हैं. गरुड़ सेना काली ड्रेस पहनती है. इन्हें ही ब्लैक कमांडो कहा जाता है. हरि वाहक दस्ते के सुरक्षा गार्ड भूरे रंग की ड्रेस पहनते हैं.

ब्लैक कमांडो दस्ता बाबा के काफिले के साथ चलता है. नारायणी सेना में 50, जबकि हरिवाहक सेना की टुकड़ी में 25 से 30 सिक्योरिटी अधिकारी होते हैं. इसके अलावा कार्यक्रम स्थल के आसपास बाबा के सेवादार सफेद रंग की पोशाक में भी होते हैं. हरेक दस्ते में महिलाएं और पुरुष दोनों सुरक्षा अधिकारी के तौर पर तैनात रहते हैं.

आगरा में स्थित सूरजपाल के आलीशान मकान पर सिर झुकाकर प्रणाम करती महिला.

यह भी पढ़ें: आधी रात को भोले बाबा के आश्रम में घुसी पुलिस, लेकिन खाली हाथ लौटी... तो कहां गया हाथरस कांड का गुनहगार?

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जहां बाबा का सत्संग होता है, उसके आसपास (बाहर) ये सेना तैनात होती है. इसके अलावा ये सेना सत्संग के अंदर भी तैनात होती है. बाबा के आसपास भी ब्लैक कमांडोज तैनात रहते हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो.

बाबा के पास कई लग्जरी कारें हैं. कहां आयोजन होगा, कितने लोग आएंगे, वो कहां बैठेंगे, अंदर प्रवेश करने, बैठने और वापस जाने तक का मैनेजमेंट बाबा की आर्मी संभालती है. बाबा की फौज पुलिस के साथ सहयोग करती है. हर मंगलवार को होने वाले कार्यक्रम की पूरी कमान यही सेवादार संभालते हैं. सेवादार देश से आने वाले श्रद्धालुओं के पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था करते हैं.

30 बीघा में आश्रम, पांच बीघा में अनुयायी विश्राम गृह

बहादुरनगर में 30 बीघा जमीन पर सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का आश्रम है तो पांच बीघा में अनुयायी विश्राम गृह बना है. जहां भी कथा का आयोजन होता है, वहां मैदान की सफाई का कार्य महिला सेवादारों के द्वारा किया जाता है, लेकिन महिला सेवादार और महिला कमांडो के कामों में अंतर है. पुरुष हाथों में बैंत लेकर और सीटी बजाते हुए परिवहन और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करते हैं.

बाबा के बारे में भक्त ने क्या बताया?

सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के भक्तों को हाथरस में हुए हादसे की जानकारी है. इसके बावजूद बाबा के भक्त पूरी आस्था रखते हैं. गुरुवार को मैनपुरी के बिछवा स्थित बाबा के आश्रम पर मीडिया और पुलिस का जमावड़ा था. इस दौरान बाबा के भक्त भी आश्रम के दर्शन करने फरीदाबाद तक से आ रहे हैं.

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एक भक्त प्रेमचंद कहते हैं कि वह 2 जुलाई को हाथरस के सिकंदरा राव में सत्संग में मौजूद थे. वह लोगों को बाबा से मिलने के लिए मना कर रहे थे. प्रेमचंद ने कभी बाबा के चरणों की रज को खुद तो नहीं लगाया, लेकिन कहते हैं कि लोग उनकी पैरों की धूल को घर ले जाते हैं, यह उनका बाबा के लिए विश्वास है.

बाबा के पास अकूत संपत्ति और मैनपुरी में करोड़ों का आश्रम कहां से आया, सवाल किया गया तो प्रेमचंद कहते हैं कि यह तो बाबा के भक्तों ने उन्हें दान में दे दिया है. बाबा तो अपनी पेंशन से दाल रोटी खाते हैं. किसी से पैसा भी नहीं लेते, ना ही किसी को अपने पैर छूने देते हैं. प्रेमचंद कहते हैं कि बाबा ने कभी भक्तों से कहा ही नहीं कि उनके चरणों की धूल ले लो, भक्त अपने आप ही उनकी भक्ति में लीन होकर जान देने के लिए उनके चरणों की रज उठाने दौड़ जाते हैं और जान गंवा देते हैं.

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