
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश समेत सभी राज्यों को मदरसे में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम बच्चों के सर्वे कराने का आदेश दिया है. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तेखार अहमद जावेद ने इस मुद्दे पर बातचीत की. उन्होंने कहा कि हमें अभी आयोग का पत्र नहीं मिला है. मगर, मीडिया से जानकारी मिली है कि आयोग ने ऐसे किसी सर्वे की बात कही है.
उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में मदरसों में बेहतर शिक्षा के लिए सरकार काम कर रही है. देश के प्रधानमंत्री मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में कंप्यूटर देना चाहते हैं. उत्तर प्रदेश के मदरसों में बच्चों का यह सर्वे ठीक नहीं है, इससे बच्चों में धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा. ऐसे संस्कृत विद्यालयों में भी कई गैर-हिंदू शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
अहमद जावेद ने आगे कहा कि मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा रही है. मदरसों के बच्चों को मॉडर्न शिक्षा भी दी जा रही. मिशनरी स्कूलों में भी हर धर्म के बच्चे पढ़ रहे हैं.
सर्वे से होगा खुलासा, मदरसों में कैसे पढ़ रहे हैं हिंदू बच्चे?
वहीं, मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के सर्वे की मांग के बाद उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग हरकत में आया है. आयोग ने मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों की पढ़ाई, स्थिति और वे वहां कैसे पढ़ने आए, आदि सवालों पर एक पत्र जारी किया है.
इस पत्र में मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को हटाने की बात कही गई है. उन बच्चों को राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत एडमिशन दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि मदरसों में हिंदू और मुसलमान बच्चे ही पढ़ते हैं.
मुस्लिम बच्चों को धर्म की शिक्षा देने के लिए मदरसे खोले गए थे. धर्म की जो इस्लामिक शिक्षा दी जानी है, उसके लिए मदरसा खोला गया, तो हिंदू बच्चे वहां कैसे आए, इसकी जानकारी के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने यह पत्र जारी किया है.