
रामचरितमानस और फिर साधु-संतों पर दिए गए बयान के विरोध के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य शनिवार को अखिलेश यादव से मिलने पहुंचे. लखनऊ स्थित पार्टी दफ्तर में मुलाकात के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि आदिवासी-दलितों के आरक्षण की बात की गई है, जो संवैधानिक अधिकार के तौर पर मिलता रहा है, उसको भारतीय जनता पार्टी ने खत्म कर दिया है. अब इस देश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए पार्टी की रणनीति के तहत सबसे पहले जाति आधारित जनगणना की मांग करेगी और जाति आधारित जनगणना कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा.
उन्होंने कहा कि अब इस बात को सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बन चुकी है कि कैसे भी हो, जो भारतीय संविधान ने इस देश के अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग को आरक्षण का अधिकार दिया है. भारतीय जनता पार्टी उसको किसी भी हालत में खत्म नहीं कर सकती है. अगर खत्म करेगी तो एक बड़ा आंदोलन होगा, जो भारतीय जनता पार्टी के सफाए तक चलता रहेगा.
मौर्य ने कहा कि अखिलेश हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उचित अवसर पर अपनी पूरी बात रखेंगे. सभी मुद्दों पर हमारी बात हुई है और अब हमारी रणनीति का दूसरा पहलू इस देश के दलितों पिछड़ों के आरक्षण को सुनिश्चित कराना, उसको वापस दिलाना है, उनके संवैधानिक अधिकार की रक्षा करना होगा.
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सनातन धर्म राष्ट्रीय धर्म वाले बयान पर कहा कि इस सबका जवाब नेता विरोधी दल के रूप में अखिलेश यादव विधानसभा उनके सामने देंगे, जिन्होंने सनातन धर्म की वकालत की है.
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने मौर्य पर साधा निशाना
अखिल भारतीय संत समिति के स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि वह अपने दम पर विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकते. पहले मायावती फिर योगी आदित्यनाथ और अब अखिलेश यादव के खेमे में वह पहुंचे हैं. उनकी खुद की हैसियत नहीं है कि वह कभी चुनाव जीत जाएं. ऐसे व्यक्तियों के बयानों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए. वे मानसिक संतुलन खो चुके हैं. ऐसे लोगों का एकसूत्रीय काम ब्राह्मण और साधु-संतों को गाली देना होता है.