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Exclusive: 'औरंगजेब मजहबी थे, वो मंदिर ढहाकर मस्जिद नहीं बनाएंगे', ज्ञानवापी पर बोले वाराणसी के मुख्य इमाम

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में ASI की टीम लगातार सर्वे कर रही है. रविवार को चौथे दिन भी टीम जांच के लिए पहुंची. यहां तीन लगातार तीन दिन से टीम सर्वे में जुटी है. आज दूसरे चरण का सर्वे होना है. ASI टीम आज मशीनों का भी इस्तेमाल करने वाली है. सर्वे में मुस्लिम पक्ष भी शामिल होगा. ज्ञानवापी के मुख्य इमाम ने आजतक से बातचीत की है.

ज्ञानवापी में ASI सर्वे पर 'आजतक' ने मुख्य इमाम से खास बातचीत की है. ज्ञानवापी में ASI सर्वे पर 'आजतक' ने मुख्य इमाम से खास बातचीत की है.
कुमार अभिषेक
  • वाराणसी,
  • 06 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST

ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने तीन दिन की जांच पूरी कर ली है. शनिवार को लगातार दूसरे दिन ASI की टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची और मस्जिद के केंद्रीय हॉल की जांच की ताकि यह पता लगाया जा सके कि 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया या नहीं. सर्वे के दौरान मुस्लिम पक्ष के पांच सदस्य भी मौजूद रहे. रविवार को तीसरे दिन भी सर्वे टीम ज्ञानवापी परिसर पहुंची है. इस पूरे मसले पर आजतक ने ज्ञानवापी के जनरल सेक्रेटरी और मुख्य इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी से बातचीत की है.

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ASI के सर्वे में क्या खास लगा?

- शनिवार को सर्वे का दूसरा दिन था. हम लोगों ने एएसआई का पूरा सहयोग किया है. हमारे कमेटी के जो लोग थे, जिन-जिनका नाम जिला प्रशासन की तरफ से आया था, उनमें कईयों ने जांच में सहयोग किया और शिरकत किया. दिनभर साथ में लगे रहे.

पिछले कोर्ट कमीशन के सर्वे और इस सर्वे में फर्क है?

- कोर्ट की तरफ से एएसआई को हिदायत दी गई है कि किसी भी चीज को टच नहीं करना है. कोई चीज तोड़फोड़ नहीं करनी है. सिर्फ वीडियोग्राफी-फोटोग्राफी और बगैर टच किए हुए साइंटिफिक सर्वे कर रहे हैं. आज मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में सर्वे हुआ था. वहां पर पैमाइश की गई, उन्हें वहां जो भी फोटोग्राफ लेना था... जो भी मापना था वह सब उन्होंने किया. हम लोगों ने पूरा सहयोग किया. जहां तक मुस्लिम पक्ष के विरोध की बात है तो... हमारा विरोध था लेकिन वह सर्वे को लेकर नहीं था. सर्वे के जो तरीके अपनाए गए थे, पहले उसमें हमें ऐतराज था. जब हमारा एतराज पर ध्यान दिया गया और हमारी बात मान ली गई, जब सिस्टम के मुताबिक सब कुछ होने लगा तो हमने साथ दिया. आगे भी साथ देते रहेंगे.

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तहखाना के कमरे को लेकर क्या कहेंगे?

- अपनी निगरानी में दक्षिणी हिस्से का तहखाना खोला. उसमें एएसआई के लोग दाखिल हुए थे. बाकायदा सर्वे किया है. नीचे सर्वे किया है. जहां ऊपर नमाज होती है, वहां भी उन्होंने सारा कुछ सर्वे किया है. आगे जहां भी वह कहेंगे, जिन कमरों के अंदर भी उनको जाने की जरूरत होगी, वहां साथ दिया जाएगा और सर्वे कराया जाएगा.

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पश्चिम दीवार से भी कोई तक तहखाना जाता है क्या?

- नहीं, पश्चिम साइड से कोई दरवाजा नहीं है. पश्चिम साइड से जो दरवाजा है, वह ऊपर छत की ओर जाता है. वहां तीन मौकों पर नमाज पढ़ी जाती है. ईद, बकरीद और अलविदा की नमाज. साल में तीन मौके पर वह खुलता है और वहां पर नमाज होती है. 

मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. हमारे यहां इस्लाम धर्म में यह कानून बना हुआ है. किसी गैर के इबादतगाह को और इबादतगाह तो बहुत बड़ी चीज हो गई- किसी गैर के मकान पर भी नाजायज कब्जा करके मस्जिद बना दी जाए तो उसे हम मस्जिद नहीं मानते और उसमें नमाज पढ़ना सही नहीं माना जाता है. वहां मंदिर होने का, ढांचे को गिराकर मस्जिद बनाने का कोई सवाल ही नहीं है. अगर उनकी आशंका है. उनका दावा है तो उन्होंने अपनी संतुष्टि के लिए एएसआई के सर्वे की बात की है. कोर्ट ने उनकी बात मानी है. ठीक है. हमारे हिसाब से तो वह मस्जिद है. कोई ऐसी चीज है तो देखते हैं कि एएसआई के रिपोर्ट में क्या आता है.

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मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई? आप क्या मानते हैं...

- ऐसा हो ही नहीं सकता. इस्लाम में इस तरीके का कोई नियम ही नहीं है. यह औरंगजेब की बनाई गई मस्जिद है. औरंगजेब से तो खासतौर पर इस तरीके का उम्मीद नहीं रखी जा सकती है. औरंगजेब का मामला बहुत अलग था. वह बहुत ही ज्यादा धार्मिक थे. तो उनसे कतई उम्मीद नहीं रखी जा सकती है कि वह मंदिर को ढहाकर मस्जिद बनवा दें. अलबत्ता, उन्होंने मस्जिदों के साथ-साथ मठों को जमीनें दी हैं. मंदिरों को जमीन दी हैं. आज भी बनारस में बड़े-बड़े मठों में आप औरंगजेब का फरमान देख सकते हैं.

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मंदिरों के कलाकृति हिंदू प्रतीक चिह्न मिले?

- हम हर जुम्मे को वहां नमाज पढ़ाने जाते हैं. हमको अभी तक वहां ऐसा कोई निशान नहीं दिखा. तो हम यह कैसे मान लें कि वह सही कह रहे हैं. जिस किसी पत्थर में कुछ ऐसा निशान... फोटोग्राफ में ऐसा लगता हो कि त्रिशूल का निशान बना हो या स्वास्तिक का निशान हो. उसमें देखिए जो मुगल यहां पर आए, उनके निवास के अंदर सेकुलरिज्म था. वो अपने साथ हिंदू भाइयों के तमाम मजाहिब को लेकर चलते थे. यही वजह है कि वो मुसलमान होकर भी इस मुल्क में आए और उन्होंने 800 साल तक इतने बड़े मुल्क में हुकूमत की.

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ज्ञानवापी में लगातार सर्वे का आज तीसरा दिन

बताते चलें कि आज सर्वे का चौथा दिन है, लेकिन लगातार सर्वे की बात की जाए तो आज तीसरा दिन ही है. दरअसल, ASI की टीम जब पहले दिन ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी तो मुस्लिम पक्ष सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगा दी थी और मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था. बाद में हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी और सर्वे के आदेश दिए थे. 

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'ASI सर्वे में पूरा सहयोग करेगा मुस्लिम पक्ष'

शनिवार के सर्वे में मुस्लिम पक्ष भी शामिल हुआ था. हालांकि, इससे पहले शुक्रवार को सर्वे के पहले दिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोई सामने नहीं आया था. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेट्री मोहम्मद यासीन ने बताया कि वह कानूनी प्रक्रिया का इंतजार कर रहे थे. अब जब कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है तो हम ASI सर्वे में पूरा सहयोग करेंगे. हिंदू पक्ष को भरोसा है कि इस सर्वे के बाद ज्ञानवापी को लेकर चल रहा विवाद थम जाएगा और मंदिर के पुख्ता सबूत सामने आएंगे. 

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ASI ने दीवारों, गुंबदों और खंभों का किया सर्वे

वहीं, मुस्लिम पक्ष सालों से वहां मस्जिद होने की बात कह रहा है. ASI की टीम ने ज्ञानवापी कैंपस में अब तक गुंबद और खंभों की वीडियोग्राफी कर चुकी है. इस दौरान दीवारों, गुंबदों और खंभों पर बने अलग-अलग चिह्नों को रिकॉर्ड किया गया है. त्रिशूल, स्वास्तिक, घंटी, फूल जैसी आकृतियों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई गई है. हर आकृति की निर्माण शैली, उसकी प्राचीनता आदि की जानकारी दर्ज की गई है.

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