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'ये ठीक नहीं है... उचित नहीं है...' एक ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में कइयों पर निशाना साध गईं मायावती

बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने इंडिया गठबंधन में शामिल सपा के बयान पर पलटवार किया. मायावती ने कहा, इंडिया गठबंधन की बैठक में बीएसपी पर की गई टिप्पणी अनुचित है. कोई नहीं जानता कि कब-किसकी जरूरत पड़ जाए. उन्होंने कहा, गठबंधन में बीएसपी समेत जो भी पार्टी शामिल नहीं है, उन पर कोई भी टिपण्णी गलत है. भविष्य में कब किसकी जरूरत पड़ जाए. सपा इसका जीता जागता उदाहरण है.

बसपा प्रमुख मायावती बसपा प्रमुख मायावती
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इंडिया गठबंधन में सपा प्रमुख अखिलेश के रुख पर पलटवार किया है. मायावती ने विपक्षी दलों के गठबंधन को भी चेताया और लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार 'ये ठीक नहीं है या ये उचित नहीं है' कहकर निशाना साधा. INDIA मीटिंग पर मायावती ने कहा, इस गठबंधन में बीएसपी समेत अन्य जो पार्टियां शामिल नहीं हैं, उनके बारे में किसी को भी बेफिजूल बात या कोई भी टीका टिप्पणी करना उचित नहीं है. इनसे अलायंस के नेताओं को बचना चाहिए. यही मेरी उनको सलाह भी है. बसपा प्रमुख ने सीधे सपा का भी जिक्र किया.

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मायावती ने कहा, भविष्य में देश हित में कब- किसको, किसकी जरूरत पड़ जाए- ये कुछ कहा नहीं जा सकता है. फिर ऐसे लोगों और पार्टियों को शर्मिंदगी उठानी पड़ जाए- ये ठीक नहीं है. इस मामले में खासतौर पर समाजवादी पार्टी इसका जीता-जागता उदाहरण भी है. इसके अलावा, यहां मैं यह भी कहना चाहूंगी कि हमारी पार्टी पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष है. हमारे देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. उनके अपने अलग-अलग आस्था स्थल बने हैं, इन सभी स्थलों का हमारी पार्टी बीएसपी ने हमेशा सम्मान किया है. यूपी के अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का जो अगले महीने उद्घाटन होने जा रहा है, उससे हमारी पार्टी को कोई ऐतराज नहीं है. 

'मायावती ने बेवजह टिप्पणी से पहले याद दिलाया सपा-बसपा गठबंधन'

दरअसल, मायावती ने सपा का उदाहरण के तौर पर जिक्र इसलिए किया है, क्योंकि यूपी की राजनीति में सपा और बसपा में बड़ा प्रतिद्वंदी माना जाता रहा है. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले दोनों दलों ने हाथ मिला लिया था और गठबंधन में चुनाव लड़ा था. हालांकि, आम चुनाव बाद ही दोनों दल एक बार फिर दूर हो गए थे और अलायंस तोड़ दिया था. 25 साल पहले 1993 में सपा और बसपा के बीच गठबंधन हुआ था. तब सपा की कमान दिवंगत मुलायम सिंह यादव और बसपा की कमान दिवंगत कांशीराम के हाथाें में थी.

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'बीएसपी धर्म निरपेक्ष पार्टी'

बसपा प्रमुख ने आगे कहा, यहां अयोध्या में कोर्ट के आदेश पर सरकार द्वारा निर्धारित की गई जमीन पर जब भी मस्जिद का निर्माण होता है, तब उसके उद्घाटन का भी हमारी पार्टी ऐतराज नहीं करेगी. हमारी पार्टी सभी धर्मों के स्थलों का पूरा सम्मान करती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी आड़ में जो घिनौनी राजनीति की जा रही है, वो अति दुखद और चिंतनीय भी है. ये नहीं होना चाहिए. क्योंकि इससे अपना देश कमजोर होगा. मजबूत नहीं. इससे लोगों में आपस में नफरत पैदा होती है, जो कतई उचित नहीं है. इस बात का भी सभी को पूरा ध्यान रखना चाहिए.

'आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा'

बसपा प्रमुख ने संसद की सुरक्षा में चूक और उपराष्ट्रपति की मिमिक्री किए जाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, हाल ही में संसद की सुरक्षा में जो सेंध लगाई गई है, ये ठीक नहीं है. यह बेहद गंभीर और चिंता का विषय है. ऐसे में हमें मिलकर संसद की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से काम नहीं चलेगा. आरोपियों और साजिशकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होना भी बेहद जरूरी है. ऐसे में खुफिया विभाग को सतर्क रहने की जरूरत है. आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके.

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'उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाना उचित नहीं है'

उन्होंने कहा, हमारी पार्टी का मानना ​​है कि मौजूदा संसद सत्र में करीब 150 सांसदों का निलंबन विपक्ष या सरकार के लिए कोई गुड वर्क या अच्छा कीर्तिमान नहीं है. इसके लिए कसूरवार कोई भी हो, लेकिन संसदीय इतिहास के लिए यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और जनता के विश्वास पर आघात पहुंचाने वाली है. संसद परिसर में निलंबित सांसदों द्वारा उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाने का वीडियो भी अनुचित और अशोभनीय है. सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद की ऐसी घटनाओं से लोकतंत्र और देश की संसदीय परंपराओं को शर्मसार होने से बचाना बहुत जरूरी है. विपक्ष-विहीन संसद में जरूरी विधेयकों का पारित होना भी एक अच्छी परंपरा नहीं है. यहां संसदीय परंपराओं को बचाने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं है, बल्कि सभी की है. जिसे सभी को मिलकर निभाना चाहिए. 

मायावती को लेकर अखिलेश यादव ने क्या कहा था...

सूत्रों की मानें तो दिल्ली में इंडिया अलायंस की बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी में बसपा को लेकर अपना रुख साफ किया है. उन्होंने कांग्रेस से दो टूक सवाल किया और यूपी को लेकर दो शर्तें भी रख दी हैं. अखिलेश ने पूछा, क्या इस गठबंधन के इतर कांग्रेस पार्टी बसपा के साथ बातचीत कर रही है? क्या वो बसपा को इस गठबंधन में लाना चाहती है? कांग्रेस सबसे पहले इस पर अपना रुख स्पष्ट करे. उन्होंने यह भी पूछ लिया कि अगर कांग्रेस ऐसा चाहती है तो वह साफ कर दे क्योंकि तब समाजवादी पार्टी को भी अपना स्टैंड इस गठबंधन को लेकर साफ करना पड़ेगा.

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इस पर कांग्रेस ने साफ किया और कहा, यूपी में कांग्रेस, सपा के साथ अपना गठबंधन धर्म निभाएगी. कांग्रेस की ओर से बताया गया कि हमारा उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन का कोई इरादा नहीं है. कांग्रेस पार्टी यूपी में अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही चुनाव में जाएगी. दरअसल, अखिलेश यादव कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व यानी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के साथ ही कई नेताओं के लगातार बसपा से संपर्क में होने को लेकर खफा थे.

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