
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने ट्रेन में 'असुविधा' होने पर भारतीय रेलवे के अफसरों पर नाराजगी जताई है और उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को एक पत्र भेजा है. इस पत्र में पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया गया है और दोषी अफसरों से स्पष्टीकरण मांगे जाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने पत्र में बताया कि जस्टिस गौतम चौधरी नई दिल्ली से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के लिए यात्रा कर रहे थे.
मामला 8 जुलाई का है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल आशीष कुमार श्रीवास्तव ने 14 जुलाई को एक पत्र जारी किया है. इसमें कहा गया है कि पुरुषोत्तम एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 12802) के एसी-1 कोच में नई दिल्ली से जस्टिस चौधरी अपनी पत्नी के साथ प्रयागराज आ रहे थे.
'ना TTE ने सुना, ना पेंट्रीकार मैनेजर ने फोन उठाया'
ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट आई. टीटीई (यात्रा टिकट परीक्षक) को बार-बार सूचित किया गया, उसके बावजूद जज की मदद करने और जरूरत के लिए कोच में कोई जीआरपी कर्मी नहीं मिला. इसके अलावा, बार-बार कॉल करने के बावजूद पैंट्री कार कर्मचारी ने ध्यान नहीं दिया और जस्टिस परिवार को ना खाने के लिए कुछ उपलब्ध कराया और ना उनकी देखभाल की गई. इस पर जस्टिस ने पेंट्रीकार मैनेजर राज त्रिपाठी को फोन किया, लेकिन उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं की.
'दोषियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने के आदेश'
पत्र में आगे कहा गया है कि इस घटना से जज को काफी असुविधा हुई. इस संबंध में जस्टिस चौधरी ने रेलवे के अधिकारियों, जीआरपी कर्मियों और पेंट्रीकार मैनेजर के आचरण और कर्तव्य के प्रति लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई है. उन्होंने रेलवे के जनरल मैनेजर को दोषी कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे जाने के लिए निर्देशित किया है. जज ने रेलवे अधिकारियों से घटना के संबंध में कोर्ट को जवाब भेजने के लिए कहा है.
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