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बरेली में 16 साल पुराने हत्या मामले में दो भाइयों को मिली उम्रकैद, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

बरेली में एक कोर्ट ने 16 साल पुराने हत्या के मामले में दो भाइयों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोनों पर 22,000-22,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने बाबूराम और भगवान दास को दोषी मानते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई और 22,000 रुपये का जुर्माना लगाया. वहीं, ओमकार और हरपाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

On March 24, 2025, the court sentenced the accused to life imprisonment until his last breath. On March 24, 2025, the court sentenced the accused to life imprisonment until his last breath.
aajtak.in
  • बरेली,
  • 28 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST

यूपी के बरेली में एक कोर्ट ने 16 साल पुराने हत्या के मामले में दो भाइयों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही, दोनों पर 22,000-22,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. हालांकि, इस मामले में आरोपी दो अन्य लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक एडीजीसी रीतराम राजपूत ने बताया कि अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश (प्रथम) कुमारी अफशान ने इस मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने बाबूराम (45) और भगवान दास (38) को दोषी मानते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई और 22,000 रुपये का जुर्माना लगाया. वहीं, ओमकार और हरपाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.

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हत्या का यह मामला 13 मई 2009 को बरेली जिले के भमोरा थाना क्षेत्र के गहरा गांव का है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, भगवान दास और उसका भाई इतवारी गांव में एक शादी समारोह में शामिल हुए थे. वहां खाने परोस रहे व्यक्ति जवाहर से इतवारी की कहासुनी हो गई. इस झगड़े में भगवान दास, उसका दूसरा भाई बाबूराम और उनके दोस्त ओमकार और हरपाल भी शामिल हो गए

इस दौरान गांव के 65 साल के बुजुर्ग रामदुलारे ने झगड़े को शांत कराने के लिए हस्तक्षेप किया और गुस्से में आकर बाबूराम को थप्पड़ मार दिया. इसी बात से नाराज होकर बाबूराम और भगवान दास ने रात में रामदुलारे की उसके घर के आंगन में गोली मारकर हत्या कर दी.

हत्या के इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की. जांच के बाद पुलिस ने बाबूराम, भगवान दास, ओमकार और हरपाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 8 गवाहों को अदालत में पेश किया. सबूतों के आधार पर अदालत ने बाबूराम और भगवान दास को दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनाई.

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